पाकिस्तान की सेना में शराब पीने पर प्रतिबंध है. ऐसे में पाकिस्तानी आर्मी के अफसर या सैनिक चोरी-छिपे इसका सेवन करते हैं. ये बातें तब सामने आई हैं, जब वहां कि आर्मी की पीस कीपिंग फोर्स के तौर पर इंटरनेशनली विदेशों में भारतीय सेना के साथ तैनाती होती है.
पाकिस्तानी आर्मी अफसर कैसे विदेशों में शराब पीने के लिए भारतीय सेना के खेमों में चोरी-छिपे आकर ड्रिंक कि रिक्वेस्ट करते हैं और ऐसा क्यों होता है? इस बारे में भारत के पूर्व थल सेनाध्यक्ष और ‘द कंटोनमेंट कॉन्सप्रेसी’ के लेखक जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने बातचीत के दौरान दिलचस्प किस्सा बताया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
‘पाकिस्तानी आर्मी में आया है बदलाव’
उन्होंने चार दशकों तक भारतीय सेना के लिए काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने कई समस्याएं भी हल की. उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी से जुड़ी कई ऐसी बातें भी बताई जो काफी कम लोगों को पता होगी. पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने बताया कि पाकिस्तानी आर्मी सबके सामने कुछ और होते हैं और पर्दे के पीछे कुछ और. पाकिस्तानी आर्मी में अब काफी बदलाव आ गया है.
जियाउल हक के समय पाक आर्मी का हुआ इस्लामीकरण
मनोज नरवने ने कहा कि ये बदलाव जनरल जियाउल हक के प्रेसिडेंट बनने के बाद आना शुरू हुआ. इस दौरान पाकिस्तानी आर्मी का एक तरह से इस्लामीकरण हुआ.इस दौरान वहां की आर्मी में मजहब के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया गया.
वहां शराब पीने पर है प्रतिबंध
इसको लेकर पाकिस्तानी आर्मी में कई कायदे कानून लाए गए. खासकर आर्मी के तौर-तरीकों को लेकर कई सारे नियम बनें. इसके तरत पाकिस्तानी आर्मी में शराब का सेवन प्रतिबंधित था. मनोज नरवने के अनुसार शराब पर पाकिस्तानी आर्मी में प्रतिबंध पब्लिकली कुछ और है और प्राइवेटली कुछ और. क्योंकि मजहबी तौर-तरीके पाकिस्तानी आर्मी में सिर्फ दिखाने के लिए हैं, क्योंकि निजी तौर पर पाक अफसर इसे फॉलो नहीं करतें
‘पाकिस्तानी आर्मी के नियम सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं’
शराब नहीं पीने जैसे नियमों का पालन निजी रूप से वहां के अफसरों नहीं करते हैं. इनका पालन सिर्फ दिखाने के लिए सख्ती से होता है. पूर्व सेनाध्यक्ष ने बताया कि ऐसा तब देखने को मिलता है जब हम विदेशों में पीस-कीपिंग फोर्स के तौर पर एक दूसरे से मिलते हैं. मनोज नरवने ने बताया कि पाकिस्तान की आर्मी में शराब पर प्रतिबंध के बावजूद कैसे वहां के कुछ अफसर विदेशों में इसका सेवन करने भारतीय सेना के खेमे में आते थे.