जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल जिले के तुलमुला स्थित खीर भवानी मंदिर में वार्षिक मेले के अवसर पर आज (20 मई) को विशेष पूजा-अर्चना की. इस दौरान उन्होंने माता राग्न्या देवी को जल चढ़ाया, फूल अर्पित किए और आरती की थाली लेकर मंत्रोच्चार भी सुने. यह मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है.
कई बार कर चुके हैं इस मंदिर का दौरा
उमर अब्दुल्ला इससे पहले भी कई बार इस मंदिर का दौरा कर ‘कश्मीरियत’ और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दे चुके हैं. हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में अचानक गिरावट देखी गई है. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बयान देते हुए स्पष्ट किया था कि वर्तमान में राज्य की आर्थिक स्थिति से ज्यादा प्राथमिकता आतंकवाद के खात्मे को दी जा रही है. उन्होंने कहा था, “हमारा फोकस अभी आर्थिक आंकड़ों पर नहीं बल्कि आतंकवाद के खात्मे पर है और इसके लिए हम भारत सरकार के साथ खड़े हैं.”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद पर्यटन पर है फोकस- उमर अब्दुल्ला
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद उमर अब्दुल्ला ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए इसे राज्य में शांति बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. इसके बाद उनके बयानों से यह भी संकेत मिला कि वे अब राज्य में पर्यटन को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने अमरनाथ यात्रा से लेकर वैष्णो देवी तक का विशेष रूप से उल्लेख किया और भरोसा दिलाया कि सरकार यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश रहेगी कि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाए, ताकि देशभर से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक निडर होकर यहां यात्रा कर सकें.
खीर भवानी मंदिर पर उमर अब्दुल्ला का वर्षों पुराना जुड़ाव उनके कश्मीरियत के सिद्धांतों को मजबूत करता है. यह मंदिर जहां कश्मीरी पंडितों की आस्था का केंद्र है, वहीं यह घाटी में सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक बन चुका है.
फारूक अब्दुल्ला भजन गाते हुए आ चुके हैं नजर
बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख, पूर्व मुख्यमंत्री और उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला कई बार भजन गाते हुए नजर आए हैं.