आपने शायद ही कभी सुना होगा एक साथ दवा और दारू का नाम, लेकिन वित्त वर्ष 2024 के दौरान इन दोनों चीजों पर भारत के परिवार ने सबसे ज्यादा खर्च किया है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन दोनों कैटेगरीज के खर्च में बीते 12 साल में सबसे तेज बढ़त देखने को मिली है. भारत के परिवारों का खर्च शराब और तम्बाकू पर वित्त वर्ष 2024 में 15.7 प्रतिशत बढ़ा – जो वित्त वर्ष 2012 के बाद से सबसे ज्यादा है – जबकि एक साल पहले इसमें मात्र 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. इसके पीछे का कारण ये था कि लोगों ने महामारी की अवधि को पीछे छोड़ने की कोशिश की थी.
दवा और दारू पर सबसे ज्यादा खर्च
न सिर्फ शराब में तेजी देखी गई, बल्कि परिवार ने इस बार स्वास्थ्य पर भी खर्च किया है. जिसमें काफी तेजी देखी गई थी. जो इस 12 साल की अवधि के दौरान पहली बार 17.4 प्रतिशत उछल गया, जबकि वित्त वर्ष 23 में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. भारत के परिवारों ने इस समय स्वास्थ्य में काफी खर्च किया है. जिसमें दवाइयां, अस्पताल और डॉक्टर के खर्च शामिल है. वित्त वर्ष 17 में नई घरेलू एक्सपेंस सीरीज की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक थी. एक्सपेंस पैटर्न घरेलू कजंपशन एक्सपेंस का हिस्सा है. जिसका इस्तेमाल जीडीपी बढ़ोतरी की गणना करने के लिए किया जाता है और इसे एक साल के अंतराल के साथ जारी किया जाता है.
खाद्य और गैर-अल्कोहोलिक पदार्थों में सालाना आधार पर मात्र 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि वित्त वर्ष 24 में कपड़ों और जूतों पर खर्च कम रहा. खाद्य और बिना शराब प्रोडक्ट में बढ़ोतरी की धीमी गति आय के स्तर में सुधार को दिखाती है, क्योंकि बेहतर स्थिति वाले परिवार खाने के प्रोडक्ट पर कम और जरूरत की चीजें पर ज्यादा खर्च करते हैं. वहीं रेस्तरां और होटलों में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिली है.
भारत कैसे खर्च करता है?
लेकिन एंटरटेनमेंट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को झटका लगा है. जहां वित्त वर्ष 2025 में खर्च में 4.1 प्रतिशत की कमी आई. कुल मिलाकर ये इंडस्ट्री पिछले वर्ष के 7.7 प्रतिशत से केवल 5.6 प्रतिशत बढ़ी. फरवरी में सरकार द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत का उपभोग एक्सपेंस बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गया. सरकार 30 मई को वित्त वर्ष 2025 के लिए अनंतिम आंकड़े जारी करेगी.