देश की एक बड़ी आबादी हर साल हैजा के चपेट में आती है. खास कर गांव देहात में तो एक जमाने में कई लोग इसके चपेट में आने से काल से गाल में समा जाते थे. आंकड़ो के मुताबिक, हैजा से मृत्यु दर देश की आबादी में एक प्रतिशत है. देश में हैजा के टीका को लेकर काफी समय से काम चल रहा था. इस दिशा में भारत बायोटेक की ओरल हैजा वैक्सीन हिलकोल ने हैजा के ओगावा और इनाबा दोनों सीरोटाइप के खिलाफ काम किया है, जो स्वस्थ भारतीय वयस्कों और बच्चों में गैर-हीन साबित हुआ है. दावा यह किया जा रहा है कि इस वैक्सीन के फेज थ्री का ट्रायल काफी प्रभावी और सफलतापूर्ण रहा है.
भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्णा एला ने कहा, “यह प्रकाशन कठोर शोध, गहन नैदानिक परीक्षणों और विश्वसनीय नैदानिक डेटा पर आधारित टीकों को आगे बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. यह उन लोगों के लिए सस्ती, प्रभावी और सुलभ टीके उपलब्ध कराने की हमारी निरंतर प्रतिबद्धता को उजागर करता है, जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।” डॉ. एला ने कहा, “हैजा एक ऐसी बीमारी है, जिसे टीके से रोका जा सकता है, जिसके प्रकोप में वृद्धि के साथ-साथ टीकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. अध्ययनों ने अनुमान लगाया है कि हर साल 2.86 मिलियन मामले और 95,000 मौतें होती हैं. टीके की वैश्विक मांग सालाना 100 मिलियन खुराक के करीब है.
उपरोक्त अध्ययन के निष्कर्षों को साइंसडायरेक्ट, वैक्सीन जर्नल 126998 में प्रकाशित किया गया है. देश में 10 क्लिनिकल साइटों पर शिशुओं से लेकर वयस्कों तक के 1,800 व्यक्तियों के विविध प्रतिभागी समूह में इस वैक्सीन की ट्रायल किया गया. इस अध्ययन में प्रतिभागियों को तीन आयु समूहों में विभाजित किया गया था: 18 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्क, 5 से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 1 से 5 वर्ष से कम उम्र के शिशु. उन्हें 3:1 के अनुपात में यादृच्छिक रूप से या तो हिलकोल या एक तुलनात्मक टीका दिया गया.
वैक्सीन का सफल परीक्षण
टीवी9 से बातचीत में भारत बायोटेक की ओर से यह दावा किया गया कि हिलकोल ने ओगावा (68.3%) और इनाबा (69.5%) दोनों सीरोटाइप के खिलाफ वाइब्रियोसाइडल एंटीबॉडी में 4 गुना से अधिक की वृद्धि का प्रदर्शन किया.