एनीमिया मुक्त भारत अभियान में छत्‍तीसगढ़ ने मारी बाजी, देशभर में अव्वल, जानिए कैसे हुआ यह कमाल

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ सरकार का एनीमिया मुक्त राज्य का संकल्प कारगर हो रहा है. एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत बच्चों, किशोरों, गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को आइएफए (आयरन फोलिक एसिड) सप्लीमेंटेशन उपलब्ध कराने में प्रदेश पहले स्थान पर है. दूसरे स्थान पर गोवा और तीसरे पर चंडीगढ़ है.

अभियान के तहत छह माह से 19 वर्ष तक के बच्चों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को आइएफए की खुराक दी जाती है. मितानिनों की ओर से छोटे बच्चों और गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को सिरप और टेबलेट प्रदान किया जाता है. साथ ही स्कूलों में बच्चों को आइएफए की दवाइयां दी जाती हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आइएफए सप्लीमेंटेशन की रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार देश में छत्तीसगढ़ प्रथम स्थान पर है. इससे पहले देश में छत्तीसगढ़ का तीसरा स्थान था। जून-2022 तक राज्य छठवें स्थान पर था.

केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आइएफए सप्लीमेंटेशन का स्कोर कार्ड जारी किया जाता है. अधिकारियों का कहना है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए राज्य पहले स्थान पर है.

95 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को खुराक
राज्यवार आइएफए सप्लीमेंटेशन के जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में छह माह से 59 माह के 74.10 प्रतिशत बच्चों को और छह वर्ष से नौ वर्ष के 91.60 प्रतिशत बच्चों को आइएफए सप्लीमेंटेशन दिया गया है. प्रदेश में इस दौरान दस वर्ष से 19 वर्ष के 87.70 प्रतिशत बच्चों व किशोरों और 95 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं और 84.40 प्रतिशत शिशुवती महिलाओं को आइएफए सप्लीमेंटेशन की खुराक दी गई है. इन सभी समूहों को मिलाकर प्रदेश में आइएफए सप्लीमेंटेशन का ओवरआल स्कोर 86.60 प्रतिशत है.

एनीमिया और लक्षण
डाक्टरों के मुताबिक एनीमिया का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन, विटामिन बी आदि की कमी का होना है. जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और जरूरत के अनुसार डाइट नहीं मिलती तो इससे खून की कमी होने लगती है.

शरीर में एनीमिया की कमी से दूसरी अन्य बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है. बीमारी के लक्षणों में थकान, त्वचा का पीलापन, सांस फूलना, सिर घूमना, चक्कर आना या दिल की तेज़ धड़कन आदि शामिल हो सकते हैं। एनीमिया की स्थिति खराब होने पर लक्षण भी गंभीर नजर आने लगते हैं.

एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डा. वीआर भगत ने कहा, एनीमिया मुक्त राज्य बनाने के लिए घर-घर स्वास्थ्य कर्मी पहुंच रहे हैं. बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है.

टाप-5 राज्यों के ओवरआल स्कोर

छत्तीसगढ़- 86.60 प्रतिशत

गोवा- 85.80 प्रतिशत

चंडीगढ़- 85.60 प्रतिशत

तमिलनाडु- 84.90 प्रतिशत

दादर एंड नागर हवेली और दमनद्वीव- 84.70 प्रतिशत

Advertisements
Advertisement