जिला प्रशासन एवं शिक्षा विकास के संयुक्त तत्वाधान से जिले के बच्चों के लिए समर कैम्प का आयोजन संचालित किया जा रहा है. जहां बच्चों को अनके गतिविधियों में शामिल कर उनका बौद्धिक विकास किया जा रहा है.
ग्रीष्म कालीन समर कैंप में बच्चों को स्विमिंग, तीरंदाजी, क्रिकेट, नृत्य, गीत संगीत, चित्रकला, कैरम, शतरंज, बेडमिंटन, क्राफ्ट हस्तशिल्प, आदि गतिविधियां भी कराई जा रही है. बच्चों अपने हुनर और रूचि के अनुसार इन गतिविधियां में शामिल होकर समर कैंप का आनंद ले रहे हैं.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
समर कैंप के इन विभिन्न गतिविधियों के अलावा भी बच्चों को जिले के प्रमुख, ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों का इक्स्पोशर विजिट कराया जा रहा है. इसी कड़ी में कैंप के बच्चों को जिला संग्रहालय का भ्रमण कराया गया. जहां बच्चों ने 13 जनजाति समुदाय के जीवन शैली से संग्रहित पुरातत्व चीजों को देखा और उनसे जुड़ी बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की
बच्चों ने जिला संग्रहालय का अवलोकन करते हुए जनजातियों के संस्कृति, उनके रहन सहन, रीति रिवाज, आभूषण, औजार, दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का अवलोकन कर संग्रहित चीजों को बारिकी से जानकारी प्राप्त किए.
संग्रहालय में लघु पाषाण उपकरण, नवपाषाण उपकरण, ऐतिहासिक उपकरणों को रखा गया है. साथ ही भारतीय सिक्के 1835 से 1940 के सिक्कों को संग्रहित करके रखा गया है. संग्रहालय में मृदभांड, कोरवा जनजाति के डेकी, आभूषण, तीर-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका, प्रागैतिहासिक काल के पुरातत्व अवशेष के शैलचित्र को भी रखा गया है. साथ ही जशपुर में पाए गए शैल चित्र के फोटोग्राफ्स को भी रखा गया है. अनुसूचित जनजाति के सिंगार के सामान चंदवा, माला, ठोसामाला, करंज फूल, हसली, बहुटा, पैरी, बेराहाथ आदि को भी संरक्षित किया गया है. संग्राहलय में चिम्टा, झटिया, चुना रखने के लिए गझुआ, खड़रू, धान रखने के लिए, नमक रखने के लिए बटला, और खटंनशी नगेड़ा, प्राचीन उपकरणों ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट को संग्रहित किया गया है.