कोरोना की पहली लहर के दौरान ड्यूटी में तैनात देवास के एएसआई डेनियल भाभर (47) की संक्रमण से मौत हो गई थी। बावजूद इसके जिला प्रशासन ने उन्हें “कोरोना वॉरियर” मानने से इनकार करते हुए मुआवजे की राशि नहीं दी। परिवार ने हाई कोर्ट की शरण ली, जहां चार महीने चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को 45 दिनों में 50 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।
डेनियल भाभर की तैनाती उस दौरान बैंक नोट प्रेस और बाद में अमलतास अस्पताल (बांगर) में थी। संक्रमण की चपेट में आने के बाद 1 मई 2021 को उनकी मौत हो गई। निधन के बाद कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट आई। वे अपने पीछे पत्नी मीना, दो बेटे और एक बेटी को छोड़ गए।
प्रशासन ने कहा- स्वास्थ्य विभाग में नहीं थे, पात्र नहीं
डेनियल की पत्नी मीना भाभर ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था। लेकिन 29 नवंबर 2023 को जिला प्रशासन ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि वे “कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना” की धारा 3.1 में शामिल नहीं होते, क्योंकि वे स्वास्थ्य विभाग से नहीं थे।
प्रशासन का तर्क था कि योजना के लाभ केवल डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को मिलते हैं, न कि पुलिसकर्मियों को।
एडवोकेट ने कोर्ट में पेश किए पुख्ता दस्तावेज
मीना भाभर ने अपने वकील यशपाल राठौर के जरिए 7 जनवरी 2025 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट में दस्तावेजों के आधार पर यह साबित किया गया कि एएसआई भाभर की ड्यूटी कोरोना काल के दौरान तीन बार बदली गई थी और संक्रमण ड्यूटी के दौरान ही हुआ।
टीआई देवास ने भी एसपी को पत्र लिखकर बताया था कि 14 से 20 अप्रैल 2021 तक डेनियल कोरोना ड्यूटी में थे। 20 अप्रैल की रात ही उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें अमलतास अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 1 मई को मौत हो गई। उनकी कोरोना रिपोर्ट 7 मई को पॉजिटिव आई।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कलेक्टर का आदेश खारिज किया
हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद जिला कलेक्टर का आदेश खारिज करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह 45 दिन के भीतर 50 लाख रुपए मुआवजा दे। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि “कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना” की धारा 3.3 में गृह विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। ऐसे में पुलिसकर्मी भी लाभ के पात्र हैं।
प्रशासन ने मुआवजे से बचने के लिए गलत आधार गढ़े
कोर्ट ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रशासन ने मुआवजे से बचने के लिए गलत आधार गढ़े। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कोविड के दौरान जब आम लोग घरों में थे, तब पुलिस और स्वास्थ्यकर्मी जान जोखिम में डालकर लोगों की सुरक्षा कर रहे थे। ऐसे में उनकी मौत पर सरकार को “बड़ा दिल” दिखाना चाहिए।
डेनियल की मौत के बाद उनके बड़े बेटे को अनुकंपा नियुक्ति मिली और परिवार महिदपुर शिफ्ट हो गया। कोर्ट का आदेश 17 मई को जारी हुआ, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बाद भी मुआवजे की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।