भीलवाड़ा : जिले के जहाजपुर कस्बे में स्थित प्रसिद्ध दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र स्वस्ति धाम में हुई चोरी की वारदात ने न केवल सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता भी पैदा कर दी है.
मुनिसुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा से कीमती भामंडल, चांदी-स्वर्ण से निर्मित श्री यंत्र और कछुआ जैसी धार्मिक महत्व की वस्तुओं की चोरी, आस्था पर सीधा आघात है। यह घटना दर्शाती है कि हमारी हजारों वर्षों पुरानी धार्मिक और सांस्कृतिक संपदा किस प्रकार असुरक्षित है. जिस तरह चोर ने योजनाबद्ध तरीके से मंदिर की दीवार फांदी, गर्भगृह में पहुंचा और मूर्ति के आसपास रखे पवित्र वस्त्र एवं प्रतीकों को चुराया यह केवल एक चोरी नहीं, बल्कि धर्म और विश्वास के प्रतीकों का अपमान है.
इस घटना के बाद सवाल उठता है क्या धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है? क्या हमारे सांस्कृतिक प्रतीकों को आधुनिक तकनीक और निगरानी से संरक्षित किया जा रहा है? स्थानीय प्रशासन, पुलिस और जैन समाज के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब आवश्यकता है एक दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति की जिससे धार्मिक स्थलों को ऐसे घटनाओं से बचाया जा सके.
इस घटनाक्रम के बाद एडिशनल एसपी पुलिस राजेश आर्य, उपाधीक्षक नरेंद्र पारीक, थानाधिकारी राजकुमार नायक मौके पर पहुंचे घटना की गहनता से जांच करने के लिए भीलवाड़ा एस एफ एल टीम को बुलाया है.