“सीने में था तिरंगा, आंखों में था सपना: देश के लिए शहीद हुआ अयोध्या का वीर बेटा शशांक!”

अयोध्या: “मां, मैं तिरंगे में लिपटकर आऊं तो रोना मत… बस गर्व करना!” ये भावना लिए अयोध्या के लाल लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने देश सेवा की राह पकड़ी थी। और आखिरकार, मात्र 22 वर्ष की आयु में अपने एक साथी की जान बचाते हुए वो अमर शहीदों की सूची में शामिल हो गए.

सिक्किम में चल रहे ऑपरेशन के दौरान उनका एक साथी नदी में गिर पड़ा और तेज बहाव में बहने लगा. बिना पल भर सोचे शशांक ने अपने प्राणों की चिंता किए बगैर नदी में छलांग लगा दी. साथी को तो खींचकर सुरक्षित बाहर निकाल लाए… लेकिन खुद को नहीं बचा सके.

“शहीद तो अमर होते हैं, और शशांक नाम अब हर दिल में बस गया है.”

शशांक उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के मझवां गद्दोपुर गांव के निवासी थे. 2019 में एनडीए में चयनित हुए और पिछले वर्ष ही सिक्किम में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी. पढ़ाई में अव्वल और देशभक्ति से ओतप्रोत शशांक बचपन से ही सैनिक बनने का सपना देखते थे.

उनके पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं और वर्तमान में अमेरिका में तैनात हैं. बेटे की शहादत की खबर मिलते ही वे भारत लौट रहे हैं. शशांक की मां हृदय रोगी हैं, उन्हें अभी तक यह दुःखद समाचार नहीं बताया गया है। उनकी बड़ी बहन दुबई में रहती हैं, लेकिन इस समय अयोध्या में हैं.

आज शाम तक शहीद शशांक का पार्थिव शरीर अयोध्या पहुंचेगा। कल राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

“हर मां को ऐसा बेटा और हर देश को ऐसा सपूत नसीब हो!”

 

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