मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने सीजेआई के प्रोटोकॉल में उल्लंघन मामले में दाखिल पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर सात हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि सिर्फ अखबारों में नाम छपवाने और चीप पब्लिसिटी के मकसद से ये पीआईएल दाखिल की है, जिसका मतलब पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है.
सीजेआई गवई 18 मई को महाराष्ट्र के दौरे पर थे. जब वह मुंबई पहुंचे तो महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे. सीजेआई के दौरे में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किए जाने पर जस्टिस बी आर गवई ने चिंता जताई थी. हालांकि, कुछ घंटे बाद दूसरे कार्यक्रम में तीनों अधिकारियों की मौजूदगी देखी गई.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
पीआईएल दाखिल करने वाले को भरना होगा 7000 रुपये का हर्जाना
यह पीआईएल एक वकील ने दाखिल की थी. सीजेआई बी आर गवई ने यचिकाकर्ता से पूछा कि उन्हें लीगल प्रैक्टिस करते हुए कितना समय हो गया है तो वकील ने बताया कि वह सात साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं. सीजेआई गवई ने इस पर याचिकाकर्ता से कहा कि सात साल हो गया है तो लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को उन्हें सात हजार रुपये का हर्जाना देना होगा.
बेवजह ने बढ़ाएं मुद्दा’, बोले CJI गवई
जस्टिस बी आर गवई ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना मतलब इस मुद्दे को बड़ा विवाद न बनाया जाए. सीजेआई गवई ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं थी कि उन्हें प्रोटोकॉल नहीं दिया गया, बल्कि लोकतंत्र के एक अंग के प्रमुख के तौर पर अपने पद की गरिमा को लेकर चिंतित थे. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि इस मुद्दे को बेवजह बढ़ाया जाए.
सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि तीनों अधिकारी उनके वापस आने के दौरान एयरपोर्ट तक उनके साथ थे, तीनों अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी. फिर भी इस मुद्दे को लेकर न्यूज और वीडियो प्रकाशित किए गए. सीजेआई ने बताया कि जब मामला ज्यादा बढ़ने लगा तो उन्होंने प्रेस नोट जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें शांत रहने का आग्रह किया गया और छोटे से मुद्दे को बेवजह न बढ़ाए जाने की भी बात कही गई थी.