सुपौल के सरकारी विद्यालय में एमडीएम में हुई गड़बड़ी तो अब अधिकारी भी माने जाएंगे दोषी

सुपौल : विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों पर शिक्षा विभाग ने सख्त रूख अपनाया है. विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सुपौल जिला शिक्षा पदाधिकारी समेत अन्य जिलों के डीईओ को एक अहम आदेश जारी किया है. इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी या अनियमितता पाई जाती है, तो केवल प्रधानाध्यापक ही नहीं, बल्कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और प्रखंड व जिला साधनसेवी भी दोषी माने जाएंगे और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य न केवल बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, बल्कि शिक्षा में समानता, स्वच्छता और ड्राप आउट दर को कम करना भी है. यह बच्चों के समग्र विकास का आधार है, और इसलिए इसका प्रभावी क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है. शिक्षा विभाग का यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार बच्चों के अधिकारों और पोषण को लेकर बेहद गंभीर है. विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न जिलों से यह शिकायतें लगातार आ रही थीं कि छात्रों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.

 

मेनू के अनुसार भोजन नहीं परोसा जाता और केंद्रीयकृत रसोईघर से भेजे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है. कई मामलों में छात्रों की संख्या से कम भोजन आपूर्ति की गई, जिससे बच्चों को उचित पोषण नहीं मिल पाता है.

 

एसीएस के आदेश में कहा गया है कि अब किसी भी अनियमितता के मामले में कार्रवाई केवल प्रधानाध्यापक तक सीमित नहीं रहेगी. यदि किसी भी विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना बाधित होती है या निर्धारित मानकों का पालन नहीं होता, तो संबंधित जिला व प्रखंड स्तरीय अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश यह सुनिश्चित करेगा कि योजना का संचालन बिना किसी बाधा और पारदर्शिता के साथ हो. विभिन्न प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित एमडीएम योजना की पहचान शुरुआती काल से ही जिले में लूट खसोट की रही है.

 

पंजी में बच्चों की उपस्थिति वास्तविक उपस्थिति से अधिक दर्ज करना, मेनू के अनुसार बच्चों के बीच भोजन का नहीं परोसा जाना आदि कई अनियमितता की बात योजना में जगजाहिर है. जिले में योजना की यही असली पहचान बनी हुई है. योजना की पड़ताल में जब कभी भी ईमानदारी बरती जाती है तो असलियत सामने आ ही जाती है. वैसे भी इस योजना में भ्रष्टाचार इस तरह अपना पांव पसार चुकी है कि योजना से जुड़े हर कोई इसमें डूब जाना ही भलाई समझते हैं. अब जब विभाग ने योजना से जुड़े अधिकारी को भी योजना में गड़बड़ी को लेकर दोषी बनाए जाने का रास्ता साफ कर दिया है तो इसमें सुधार के आसार दिख रहे हैं.

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