Left Banner
Right Banner

नगर पालिका परिषद की बैठक बनी रहस्य, पत्रकारों को नहीं मिला प्रवेश: पारदर्शिता पर उठे सवाल

जसवंतनगर : नगर पालिका परिषद की हालिया बोर्ड बैठक पूरी तरह से गोपनीयता के पर्दे में संपन्न कराई गई, जिसने नगर में संशय और चर्चाओं का एक नया दौर शुरू कर दिया है.मंगलवार को पालिका सभागार में आयोजित इस बैठक में पहली बार किसी भी पत्रकार को आमंत्रित नहीं किया गया, मानो यह कोई देश की सुरक्षा से जुड़ा अतिसंवेदनशील मामला हो। इस अभूतपूर्व कदम ने पालिका की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेषकर तब जब पिछले 15 वर्षों से पत्रकारों की मौजूदगी को पारदर्शिता का प्रतीक माना जाता रहा है.

गोपनीयता का कारण अनसुलझा
सूत्रों के अनुसार, बैठक की पूरी कार्यवाही को गुप्त रखा गया.जब अधिशासी अधिकारी से इस अचानक अपनाई गई गोपनीयता का कारण पूछा गया, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से परहेज़ किया, जिससे संदेह और गहरा गया है.नगर में पहले भी पालिका की कार्यप्रणाली को लेकर कई शिकायतें होती रही हैं, जिनमें अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं.

 

इन शिकायतों पर कार्रवाई के बजाय, अक्सर उन पर पर्दा डालने की प्रवृत्ति देखी गसकता. इस बार की बैठक में पत्रकारों का बहिष्कार, इस पुरानी प्रवृत्ति को और बल देता प्रतीत होता है। जनता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर नगर पालिका क्या छिपाने की कोशिश कर रही है? क्या कोई ऐसे निर्णय लिए गए हैं या ऐसे मुद्दों पर चर्चा हुई है, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता?

जनहित के मुद्दे हाशिए पर, अनियमितताओं की गूंज

नगर की वर्तमान स्थिति भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है.भीषण गर्मी में पीने के साफ पानी की व्यवस्था बदहाल है, जबकि शीतल जल के इंतज़ाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद इसके, जनता को कोई खास राहत नहीं मिल रही है। व्यापक स्तर पर यह चर्चा है कि वाटर कूलर से लेकर सफाई डिब्बों तक की खरीद में भारी अनियमितताएं हुई हैं, जिनकी उच्चस्तरीय जांच की मांग अब ज़ोर पकड़ रही है.

सफाई व्यवस्था की बात करें तो, यह नाम मात्र की रह गई है.अधिकारी केवल दिखावे के लिए रामलीला रोड जैसी प्रमुख सड़कों की सफाई दिखाते हैं, जबकि तंग गलियों और मोहल्लों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.वास्तविक हालात का जायजा नहीं लिया जा रहा है और जनता को अस्वच्छ वातावरण में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.बताया गया है कि बैठक में कुछ सभासदों ने जनहित के इन गंभीर मुद्दों को उठाने का प्रयास किया भी, लेकिन बैठक की गोपनीयता और पत्रकारों की अनुपस्थिति ने उनके प्रयासों की प्रभावशीलता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है.

पारदर्शिता की कमी और जनता का बढ़ता अविश्वास
इस घटना ने नगर पालिका के प्रति जनता के अविश्वास को और गहरा कर दिया है.एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, स्थानीय निकायों की पारदर्शिता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है.जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके लिए कौन से निर्णय लिए जा रहे हैं और उनके पैसों का उपयोग कैसे किया जा रहा है.पत्रकारों की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि ये प्रक्रियाएं सार्वजनिक हों और किसी भी तरह की अनियमितता पर तुरंत सवाल उठाए जा सकें.

 

इस बार की बैठक में पारदर्शिता की यह कमी, नगर पालिका की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या भविष्य में भी इसी तरह की गोपनीय बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिससे जनता और प्रेस दोनों को दूर रखा जाएगा? यह देखना होगा कि इस मामले पर प्रशासन और संबंधित अधिकारी क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या भविष्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाते हैं.

Advertisements
Advertisement