Uttar Pradesh: जैतपुर गौशाला में दिल दहला देने वाली बदहाली: भूख और लापरवाही से मर रही गायें, शव नहर में बहाए जा रहे…

इटावा/महेबा: इटावा जिले के महेवा ब्लॉक स्थित जैतपुर ग्राम पंचायत की सरकारी गौशाला से आ रही खबरें बेहद चिंताजनक और हृदय विदारक हैं। यहां गोवंश की स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है, जहां भूख, अव्यवस्था और घोर लापरवाही के चलते गायों की लगातार मौतें हो रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने गौशाला प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए तत्काल हस्तक्षेप और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

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ग्रामीणों का आरोप है कि गौशाला में गायों को न तो समय पर पर्याप्त चारा दिया जा रहा है और न ही उनकी उचित देखभाल की जा रही है। चारे की कमी के कारण गायें लगातार कमजोर होकर भूख से मर रही हैं। इस अमानवीय स्थिति को दर्शाने वाले वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जो गौशाला के अंदर की भयावह सच्चाई बयां करते हैं। इन वीडियो में गायों की दुर्दशा साफ नजर आ रही है.

सबसे चौंकाने वाला और दिल दहला देने वाला पहलू यह है कि मृत गायों के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, मृत गायों का न तो कोई पोस्टमार्टम कराया जाता है और न ही उनकी मौत के कारणों या संख्या के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक की जाती है। बल्कि, मृत गायों के शवों को ट्रैक्टर से खींचकर पास की नहर में बहा दिया जाता है। इस कृत्य का भी वीडियो ग्रामीणों के पास उपलब्ध है, जो प्रशासन की अनदेखी और गौशाला संचालक की क्रूरता को दर्शाता है। यह कृत्य न केवल पशु कल्याण के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शासन की उस मंशा का भी घोर अनादर है जिसके तहत सरकारी गौशालाएं स्थापित की गई हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति सीधे तौर पर शासन की गौवंश संरक्षण और संवर्धन की नीतियों का मखौल उड़ा रही है। गौशाला संचालक पर किसी प्रकार की कोई जवाबदेही नहीं है और उनकी मनमानी चरम पर है. ग्रामीणों ने एक स्वर में मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की तत्काल उच्च स्तरीय जांच कराई जाए.

उनकी मुख्य मांग है कि दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और गौशाला की वर्तमान नारकीय स्थिति में तत्काल सुधार लाया जाए ताकि गौवंश को उचित पोषण, चिकित्सा और सुरक्षित वातावरण मिल सके। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.

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