Uttar Pradesh: मनरेगा भ्रष्टाचार जांच के नाम पर साजिश! गरीबों के हक की दुहाई बनी फर्ज़ी नुमाइश

चंदौली: चकिया विकास खण्ड के मैनपुर गाँव में मनरेगा योजना के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है. आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्र नाथ पाण्डेय ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत हजारों दस्तावेज एकत्रित कर यह साबित किया है कि सरकारी कर्मचारी स्वयं मजदूरी के लाभार्थी बन बैठे हैं। और बकरी साला जैसी अन्य योजनाओं में भी गड़बड़ी सामने आई है.

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महेंद्र पाण्डेय ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ विभिन्न विभागों और अधिकारियों को शिकायतें भेजी हैं। मुख्यमंत्री तक इस मामले की जानकारी पहुंचाई गई है. बावजूद इसके, न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई, न ही भ्रष्टाचार के इस खेल को रोकने का प्रयास. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस घोटाले में मिलीभगत का हिस्सा है या फिर भ्रष्टाचार पर आंखें मूंदे बैठा है?

शिकायतकर्ता का दावा है कि भ्रष्टाचार की इस श्रृंखला में ग्राम प्रधान से लेकर ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारी शामिल हैं। अब तक चार विभागों के कर्मचारियों के नाम मजदूरी लाभार्थियों की सूची में आ चुके हैं.

आरटीआई के जरिए मिले 8,000 पन्नों के दस्तावेजों से साफ होता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। कार्यों में फर्जीवाड़ा इतना गहरा है कि मस्टर रोल में फर्जीवाड़ा से मजदूरी का भुगतान किया गया.

ऐसे स्पष्ट सबूतों के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में अब तक सिर्फ “जांच के आदेश” का झुनझुना पकड़ाया है। सवाल यह है कि जब सबूत इतने ठोस हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या यह प्रशासन की निष्क्रियता है या फिर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की मिलीभगत का संकेत?

युवा संघर्ष मोर्चा ने मनरेगा में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। मोर्चा संयोजक शैलेन्द्र पाण्डेय ने कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि गरीबों के लिए चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण योजना में भी भ्रष्टाचार का जाल फैला हुआ है। सरकार की योजनाओं का लाभ असली जरूरतमंदों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करना अब हमारी प्राथमिकता होगी.”

शिकायतकर्ता ने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है. उनका दावा है कि निष्पक्ष जांच से बड़े अधिकारियों और ग्राम प्रधान की संलिप्तता उजागर होगी.

मैनपुर का यह मामला केवल एक गाँव तक सीमित नहीं है. यह सवाल उठाता है कि क्या जिलेभर में मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं में इसी तरह का भ्रष्टाचार चल रहा है? जब सबूत और गवाह दोनों मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

ग्रामीणों ने प्रशासन से भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है. अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में जागता है, या फिर यह भी जांच और आश्वासनों के ढेर में दबा दिया जाएगा.

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