ग्वालियर। टोल प्लाजा पर लंबी लाइन और पैसों के लेनदेन को लेकर होने वाले झंझट से आम लोगों को बचाने के लिए फास्टैग व्यवस्था लागू की गई, लेकिन अब फास्टैग का गड़बड़झाला लोगों को परेशान कर रहा है। लोगों की गाड़ियां घर के अंदर रखी हैं, लेकिन फास्टैग से टोल टैक्स सैंकड़ों किलोमीटर दूर के टोल प्लाजा से कट रहा है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामले लगातार बढ़े हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि लोगों के पैसे खाते से अपने आप कट गए। जब इस संबंध में ईमेल या हेल्पलाइन नंबर के जरिए शिकायत करने का प्रयास किया तो कोई जवाब ही नहीं मिला। यह स्थिति असहज करने वाली है। टोल प्लाजा संचालित करने वाली कंपनी अलग है, जबकि फास्टैग बैंक या पे-वॉलेट कंपनियों से जारी होता है। यह गड़बड़झाला कैसे हो रहा है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है, लेकिन इसमें आम लोगों की जेब जरूर कट रही है।
आखिर कैसे हो रहा गड़बड़झाला?
पहला मामला है अंशुल गुप्ता का उनका कहना है कि मैं होटल संचालक हूं। मेरी कार MP07ZD3941 मेरे पिता गोपाल गुप्ता के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन इस पर जो फास्टैग लगा है, वह मेरे मोबाइल नंबर और बैंक खाते से लिंक है। इसलिए जब भी टोल टैक्स कटता है तो मेरे पास ही मैसेज आता है। 23 मई को मेरी कार महाराज बाड़े पर घर के बाहर खड़ी थी। अचानक मेरे मोबाइल पर फास्टैग कटने का मैसेज आया। खाते से 60 रुपये कट गए। यह टैक्स महाराजपुरा स्थित बरेठा टोल प्लाजा से काटा गया। तमाम प्रयास किए, लेकिन न तो खाते में रुपये वापस आए, न ही कोई जवाब मिला कि पैसा कैसे कट गए।
दूसरा मामला केशर अपार्टमेंट निवासी संजय यादव का है उनका कहना है कि मैं भिंड रोड स्थित निजी कंपनी में काम करता हूं। मैं फैक्ट्री अपनी कार MP07CG5566 से ही जाता हूं। 24 मई को मैं अपनी कार से फैक्ट्री गया। कार फैक्ट्री परिसर के अंदर रखी हुई थी, मैं अपने काम में लगा था। तभी अचानक मेरे मोबाइल पर 665 रुपये टोल टैक्स कटने का मैसेज आया। यह रुपये फतेहाबाद आगरा के टोल प्लाजा से काटे गए थे, मैं परेशान हो गया।
मैंने पहले तो कंपनी के हेल्पलाइन नंबर पर काल करने का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। फिर दो अलग-अलग ईमेल आइडी पर ईमेल भी किए, लेकिन आज तक कोई जवाब ही नहीं आया। अब यह समझ नहीं आ रहा, आखिर गाड़ी यहां रखी थी और टोल टैक्स वहां कैसे कट गया। कोई अथॉरिटी ही नहीं है, जिससे संपर्क किया जा सके।।
जिन लोगों के साथ ऐसा हुआ है, वह परेशान हैं। उनका कहना है कि अब कार के नंबर से भी टोल टैक्स कटने लगा है। लोगों को आशंका है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी कार के नंबर का इस्तेमाल कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग कर रहे हों। टोल प्लाजा से नंबर के आधार पर टोल टैक्स कटाकर निकले हों। ग्वालियर में भी ऐसे कई आरोपी पकड़े गए, जो अपराध करने के बाद दूसरी गाड़ियों की नंबर प्लेट लगाकर भागे थे।