छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का मुख्य आरोपी विजय भाटिया गिरफ्तार, 2000 करोड़ की हेराफेरी का मामला

छत्तीसगढ़ पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के सिलसिले में कार्रवाई करते हुए व्यापारी विजय भाटिया को नई दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। भाटिया को रविवार को रायपुर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एसीबी/ईओडब्ल्यू की एक दिन की हिरासत में भेज दिया गया।

Advertisement

2019 से 2022 के बीच हुआ था घोटाला

एसीबी/ईओडब्ल्यू के एक बयान के अनुसार, विजय भाटिया को इस घोटाले का मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में शराब बनाने वाली विदेशी कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं से बड़े पैमाने पर कमीशन एकत्र करके अवैध रूप से लाभ कमाया, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ। यह घोटाला तब हुआ जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, जैसा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले खुलासा किया था कि यह 2019 से 2022 के बीच हुआ।

भाटिया के खिलाफ किन धाराओं में दर्ज है मामला?

भाटिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसीबी/ईओडब्ल्यू के वकील ने बताया कि सोमवार को उन्हें आगे की हिरासत के लिए विशेष एसीबी/ईओडब्ल्यू अदालत में फिर से पेश किया जाएगा।

गिरफ्तारी के साथ-साथ, एसीबी/ईओडब्ल्यू ने दुर्ग और भिलाई में भाटिया, उनकी कंपनियों और उनके सहयोगियों से जुड़े आठ स्थानों पर व्यापक छापेमारी भी की। इन तलाशी अभियानों के दौरान, आरोपी, उनकी संबंधित कंपनियों और सहयोगियों के परिसरों से महत्वपूर्ण दस्तावेज, निवेश से संबंधित कागजात और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट (डिजिटल डिवाइस) जब्त किए गए हैं।

बता दें कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED), एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) जैसी केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं। इस घोटाले में 2019 से 2022 के बीच लगभग 2000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप है। शराब घोटाला छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के समय सामने आया था। तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

Advertisements