‘इमरजेंसी-वार्ड से जबरन ले गया सिपाही… 2 घंटे में मौत’: परिवार बोला-रायपुर सेंट्रल जेल कर्मचारी ने घूस भी ली, मेकाहारा ने बजट इश्यू बताकर टाली सर्जरी

रायपुर सेंट्रल जेल में बंद बीमार कैदी योगेन्द्र कुमार बंजारे (29) की 30 मई को मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि जेल के सिपाही ने ड्यूटी टाइम खत्म होने की बात कहकर इमरजेंसी वार्ड से पेशेंट को जबरन जेल ले गया। इसके बाद 2 घंटे के भीतर ही मौत हो गई।

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मृतक के भाई लखन ने आरोप लगाया कि जेल सिपाही ने रिश्वत भी ली। डॉक्टर्स ने बजट की समस्या बताकर इलाज नहीं किया। मामले में मेकाहारा एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि आवश्यक इलाज किया गया है। वहीं जेल प्रशासन का कहना है कि आरोपी की मौत इलाज के दौरान हुई।

योगेन्द्र कुमार बंजारे को गरियाबंद पुलिस ने साइबर फ्रॉड के केस में पकड़ा था। वह 18 मई से जेल में बंद था। उसे 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने के कारण रायपुर सेंट्रल जेल में रखकर मेकाहारा में इलाज कराया जा रहा था। अब कैदी की मौत के बाद न्यायिक जांच चल रही है। पढ़िए इस रिपोर्ट में …

सबसे पहले पढ़िए, पीड़ित पक्ष ने क्या कहा ?

“29 मई को मेरा भाई मुझसे कह रहा था, आज इलाज नहीं हुआ तो मैं मर जाउंगा। वो रो रहा था। साथ में आए जेल सिपाही और डॉक्टर्स से भी उसने यही बात कही, लेकिन जेल कर्मचारी ने साफ कह दिया कि मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है। मैं एक मिनट यहां नहीं रुकूंगा।

मैंने सामने खड़ी महिला डॉक्टर से रिक्वेस्ट किया। उसने कहा कि मैंने ऑलरेडी सिपाही से कह दिया है। आप लोग देख लीजिए। सिपाही नहीं माना, वो जबरन भाई को साथ ले गया। अगले दिन सुबह 10 बजे मैं हॉस्पिटल पहुंचा, तो इसी सिपाही ने बताया कि मेरे भाई की मौत हो गई है।” ये बातें मृतक के भाई लखन बंजारे ने कही है। साइबर फ्रॉड के आरोप में गरियाबंद पुलिस ने योगेन्द्र को पकड़ा

योगेन्द्र के छोटे भाई लखन बंजारे ने बताया कि 17 मई को म्यूल अकाउंट से जुड़े एक केस को इंवेस्टिगेट करते हुए गरियाबंद पुलिस उनके पिता के ऑफिस पहुंची थी। पिता से योगेन्द्र के संबंध में पूछताछ की जा रही थी। मैं हैदराबाद में था। मुझे कॉल पर पूरे मामले की जानकारी मिली।

योगेन्द्र तब नारायणपुर में था। हमने उसे कॉल कर कहा कि वो तुरंत पुलिस से बात करे। योगेन्द्र ने ऐसा ही किया। अगले दिन 18 मई को हैदराबाद से लखन रायपुर आए। योगेन्द्र भी सुबह पांच बजे के करीब रायपुर पहुंचा। बस से उतरते ही पुलिस पूछताछ के नाम पर अपने साथ ले गई। और सीधे कोर्ट में पेश कर दिया।

कोर्ट ने 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजा

कोर्ट ने योगेन्द्र को 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया। 24 मई की सुबह योगेन्द्र के परिवारवालों को गरियाबंद जेल के एक कर्मचारी का कॉल आया। परिवार को तुरंत जिला अस्पताल बुलाया गया। यहां योगेन्द्र बेड पर था।

इस दौरान योगेंद्र ने अपने भाई को बताया कि उसे लगातार चक्कर आ रहे हैं। सांस लेते नहीं बन रहा है। डॉक्टर ने एक्स-रे रिपोर्ट देखकर बताया कि योगेन्द्र के चेस्ट में पानी भर गया है। आगे के इलाज के लिए मेकाहारा रेफर कर दिया।

इसके बाद पुलिस 25 मई को दोपहर 2 बजे के करीब रायपुर लेकर आई। पहले सेंट्रल जेल लेकर गए। इसके बाद योगेन्द्र को मेकाहारा लाया गया। यहां प्राइमरी जांच के बाद योगेन्द्र को अगले दिन CT स्कैन के लिए बुलाया गया। सर्जरी की जरूरत थी, एडमिट ही नहीं किया गया

26 मई को डॉक्टर ने बताया कि योगेन्द्र के हार्ट के पास 7.5*5.2 सेमी का बढ़ा हुआ अतिरिक्त मांस का एक टुकड़ा है, जिसके चलते उसे सांस लेने में दिक्कत होगी। सर्जरी के बाद मामला ठीक हो जाएगा। परिवारवालों ने सर्जरी करने की अपील की।

परिजनों ने बताया कि इस दौरान डॉक्टर ने कहा कि अभी बजट का इशू है, इसलिए एडमिट नहीं कर सकते। आप लोग CT स्कैन करा लीजिए, फिर आगे की रिपोर्ट के हिसाब से देखते हैं। 27 मई को सीटी स्कैन से पहले योगेन्द्र का ब्लड सैंपल लिया जाना था। 45 मिनट में मिल गई रिपोर्ट, लेकिन CT स्कैन नहीं हो पाया

मृतक के भाई लखन ने बताया कि वैसे रिपोर्ट एक दिन बाद मिलती, लेकिन जल्दी रिपोर्ट के लिए साथ आए सिपाही ने एक हजार घूस लिए। एक हजार देते ही एक दिन बाद वाला सिस्टम मैनेज हो गया। 45 मिनट में रिपोर्ट मिल गई, लेकिन ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन ज्यादा होने की वजह से सीटी स्कैन टल गया।

28 मई को इलाज के लिए नहीं लाया गया, जेलर ने लेटर का नहीं दिया जवाब

डॉक्टरों ने योगेन्द्र को इसके बाद अगले दिन की डेट दी, लेकिन सीरियस कंडीशन होने के बावजूद जेल प्रशासन योगेन्द्र को इलाज के लिए 28 मई को मेकाहारा लेकर नहीं आया। परिवारवालों ने कारण पूछा तो उनसे कहा गया कि हमारे पास और भी कैदी हैं।

रोज एक कैदी को ही लाएंगे तो बाकियों को कौन देखेगा? आज योगेन्द्र की बारी नहीं उसे अब अगले दिन यानी 29 मई को लेकर आएंगे। इसके बाद योगेन्द्र के भाई ने जेलर को एक पत्र लिखा। दरख्वास्त किया कि उसके भाई को इलाज के लिए भेजा जाए, लेकिन इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 29 मई को भी इलाज नहीं हुआ, परिवारवाले हास्पिटल के चक्कर काटते रहे

29 मई को सुबह 10 बजे योगेन्द्र को फिर मेकाहारा लाया गया। ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल थी। सीटी स्कैन भी हो गया। कार्डियक डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने बोला योगेन्द्र को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर दो, लेकिन इमरजेंसी डिपार्टमेंट की ओर से कहा गया- हम सर्जरी नहीं कर सकते, कब तक इसे रखेंगे।

योगेन्द्र के भाई लखन को अपने भाई को एडमिट कराने के लिए हॉस्पिटल के चार और चक्कर लगाने पड़े। तब कहीं जाकर योगेन्द्र को इमरजेंसी वार्ड में स्पेस मिल पाया, लेकिन इन सब के बीच दिन के 3:30 हो गए। साथ आए जेल कर्मचारी निरंजन सिंह ठाकुर ने कहा-मेरा ड्यूटी टाइम ऑफ हो गया है।

जबरदस्ती योगेन्द्र को जेल कर्मचारी साथ ले गया, 2 घंटे बाद मौत

परिवारवालों ने डॉक्टर्स से रिक्वेस्ट की, जेल कर्मचारी निरंजन से रिक्वेस्ट की। कहते रहे कि योगेन्द्र मर जाएगा। उसका इलाज कर दिया जाए। योगेन्द्र खुद भी यही बात कह रहा था कि इलाज नहीं हुआ तो वो मर जाएगा। लेकिन निरंजन उसे अपने साथ जबरदस्ती जेल ले गए।

2 घंटे बाद वापस यानी छह बजे योगेन्द्र को वापस मेकाहारा लाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया। परिवार वालों को दूसरे दिन यानी 30 मई को सुबह दस बजे उसकी मौत की सूचना दी गई।

जेल एडमिनिस्ट्रेशन बोला: जेल में नहीं हुई मौत जेल प्रशासन की ओर से हुई लापरवाही पर हमने रायपुर केन्द्रीय जेल के जेलर योगेश सिहं क्षत्री से बात की। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है। आरोपी को इलाज के लिए गरियाबंद से रेफर किय था। हमने उचित इलाज उपलब्ध कराने के लिए अपनी ओर से पूरे प्रयास किए। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन बोलाः हमने इलाज से मना नहीं किया, ब्रॉड डेथ थी

वहीं हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि योगेन्द्र की मौत इलाज के दौरान नहीं हुई थी। ये एक ब्रॉउ डेथ थी। यानी जब तक उसे हॉस्पिटल लाया गया। उसकी डेथ हो चुकी। हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डॉ संतोष का कहना है कि बजट का हवाला देकर इलाज न किया गया हो ये नहीं हो सकता, इस संबंध में जानकारी लेता हूं।

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