ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र को लेकर विपक्ष की मांग पर गंभीर नहीं सरकार, मानसून सेशन में होगी चर्चा..

विपक्ष की ओर से ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर केंद्र सरकार विचार नहीं कर रही है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जुलाई में संसद का मानसून सत्र प्रस्तावित है, ऐसे में विशेष सत्र बुलाने की मांग को सरकार औचित्यहीन मान रही है.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्ष के कई नेताओं ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी. यह मांग तब और तेज हो गई जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा बयान दिया.

विपक्ष की मांग पर सरकार गंभीर नहीं

सूत्रों के अनुसार, विपक्ष की इस मांग को लेकर खुद विपक्षी खेमे में भी एकराय नहीं है, और सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चलाया गया एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान है, जिसे लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक पहलुओं पर बहस की मांग की जा रही है.

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चा की मांग

फिलहाल सरकार का रुख स्पष्ट है कि इस विषय पर चर्चा मानसून सत्र में हो सकती है, लेकिन इसके लिए विशेष सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं है. विपक्ष चाहता है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए जिसमें पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद की सैन्य कार्रवाई, साथ ही पुंछ, राजौरी, उरी और कुपवाड़ा में नागरिक क्षेत्रों पर तोपबारी और गोलेबारी, संघर्षविराम और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाए.

कपिल सिब्बल ने सबसे पहले 25 अप्रैल को इस विशेष सत्र की सार्वजनिक मांग की थी. इसके बाद TMC, कांग्रेस और AAP ने भी यह मांग उठाई और एनडीए सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया. यह पहली बार होगा जब वक्फ संशोधन बिल के बाद विपक्ष एकजुट होकर भाजपा सरकार से जवाब मांगने के लिए एक मंच पर आ रहा है.

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