देशभर में सात जून को ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाएगी. इससे पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने त्योहार को लेकर 12 पॉइंट की एक एडवाइजरी जारी है और मुस्लिम समुदाय को सिर्फ उन जानवरों की कुर्बानी देने की सलाह दी है जिन पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है.
देश में 7 जून को ईद का त्योहार
खालिद रशीद ने कहा कि कुर्बानी 7 जून, 8 जून और 9 जून को की जा सकती है और उन्होंने मुसलमानों से कानून के दायरे में रहते हुए कुर्बानी की रस्में अदा करने की अपील की है. उन्होंने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 7 जून दिन शनिवार को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी.
ईद पहले मुस्लिम समुदाय को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह, सिर्फ उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जानी चाहिए जिन पर कोई पाबंदी नहीं है और कुर्बानी वाली जगह पर साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जानवरों की कुर्बानी खुली जगहों जैसे गलियों, सड़क के किनारे या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं की जानी चाहिए.
सड़कों पर न बहाएं जानवरों का खून
उन्होंने कहा कि जानवरों के मल-मूत्र को सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं फेंका जाना चाहिए और इसकी जगह नगर निगम के कूड़ेदानों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुर्बानी किए गए जानवरों का खून नालियों में नहीं बहाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे कुछ लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच सकती है और यह सेहत के लिहाज से भी हानिकारक है. खून को मिट्टी के नीचे दबा देना चाहिए, ताकि वह पौधों के लिए खाद बन सके.
उन्होंने आगे कहा कि कुर्बान किए गए जानवर के मांस को ठीक से पैक किया जाना चाहिए और मांस का एक तिहाई हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों को दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुर्बानी के दौरान कोई फोटो न खींचे, कोई वीडियो न बनाएं और न ही उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करें. उन्होंने लोगों से देश में शांति और देश की सीमा की रक्षा कर रहे सेना के जवानों की सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना करने की अपील की है.
एडवाइजरी के 12 पॉइंट:
– कुर्बानी सार्वजनिक स्थलों पर न करें, इसके लिए पहले से तय जगह, स्लॉटर हाउस या अपने घर का आंगन चुनें
– कुर्बानी के दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखें
– जानवरों का खून नालियों में न बहाएं, उसे मिट्टी में दबा दें
– कुर्बानी के बाद बचा हुआ अपशिष्ट सड़क या गली में न फेंकें, इसे कूड़ेदान में ही डालें
– कुर्बानी करते समय दूसरों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें
– मांस को खुले में न ले जाएं और ठीक से पैक करके ही जरूरतमंदों को दें
– कुर्बानी के मांस का एक तिहाई हिस्सा गरीबों और ज़रूरतमंदों को देना धार्मिक रूप से ज़रूरी है
– बकरीद की नमाज़ के दौरान देश की तरक्की और सैनिकों की सलामती के लिए भी दुआ करें
– सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरें या वीडियो शेयर न करें, इससे दूसरों की भावनाएं आहत हो सकती हैं
– शांति और भाईचारे का संदेश दें, किसी भी तरह के उकसावे से बचें
– जनवारों की खरीद-बिक्री और कुर्बानी की प्रक्रिया कानून के दायरे में होनी चाहिए
– प्रशासन और नगर निगम के निर्देशों का पालन करें
वर्चुअल ईद मनाने की मांग
उधर, बकरीद से पहले महाराष्ट्र में वर्चुअल ईद का मुद्दा तूल पकड़ रहा है. मंत्री नितेश राणे ने पर्यावरणविदों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि उन्होंने ‘वर्चुलअ ईद’ मनाने की अपील क्यों नहीं की. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ होली और दिवाली जैसे हिंदू त्योहारों को ही निशाना बनाकर चुनिंदा रवैया अपना रही है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमें पर्यावरण की फिक्र करने का हवाला देते हुए त्योहारों के दौरान पटाखे या रंग का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हैं. अब वे कहां चले गए? बकरीद को वर्चुअल तरीके से मनाने की अपील क्यों नहीं की जा रही है? वे पशु प्रेमी कहां हैं जो होली या दिवाली जैसे त्योहारों को वर्चुअल तरीके से मनाने की अपील करते हैं.
राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री राणे ने कहा कि ये पशु प्रेमी पशु अधिकारों के नाम पर सेलेक्टिव अपील करते हैं. वे बकरीद से पहले ऐसा क्यों नहीं कहते? यह हिंदू राष्ट्र है, अगर डॉ. अंबेडकर की ओर से तैयार संविधान हिंदुओं पर लागू होता है तो यह मुसलमानों पर भी समान रूप से लागू होना चाहिए, कोई शरिया कानून लागू नहीं होगा.
केक पर बने बकरे को करें कुर्बान
गाजियाबाद को लोनी इलाके से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्रन ने भी ईको-फ्रेंडली या ग्रीन बकरीद मनाने की अपील की है और इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को एक लेटर भी लिखा है. उन्होंने कहा कि जहां पर हिंडन एयरफोर्स स्टेशन है वहां पर ऑर्डिनेंस एरिया लगता है, अगर वहां पर इस तरह बकरीद के नाम पर पशुओं का कटान होगा तो यह राष्ट्रद्रोह का मसला बनता है.
बीजेपी विधायक गुर्जर ने कहा कि प्रशासन एयरक्राफ्ट ऑर्डिनेंस, पशुधन अधिनियम, 1960 का पालन, गौवंशों व अन्य किसी जीव की हत्या न हो यह सुनिश्चित करे. उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी इको फ्रेंडली ईद मनाएं और सांकेतिक तौर पर केक का बकरा काटकर कुर्बानी की रस्म निभाएं.