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सूख गया PAK का गला! सिंधु नदी का पानी बंद होने के बाद लिख चुका भारत को 4 चिट्ठियां

अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं. पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ दशकों पहले की गई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोक दिया था. जिससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और वह इसे लेकर भारत को कई चिट्ठियां भी लिख चुका है.

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद 24 अप्रैल को जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल मंत्रालय के सचिव सईद अली मुर्तजा को पत्र लिखकर साफ कर दिया था कि भारत में सीमापार आतंकवाद के जरिए पाकिस्तान आतंकी हमले करता है. भारत ने तकनीकी कारणों का भी हवाला देते हुए भारत सरकार का सिंधु जलसंधि को रद्द का फैसला बता दिया गया था.

लेकिन पाकिस्तान अब तक भारत को चार बार चिट्ठी लिख चुका है. पाकिस्तान ने इन पत्रों में भारत से अनुरोध करते हुए कहा कि भारत सिंधु जल संधि को रोकने के फैसले पर दोबारा विचार करे. पाकिस्तान के जल मंत्रालय के सचिव सईद अली मुर्तजा ने सिंधु जलसंधि रोकने के फैसले को बदलने के लिए पहला पत्र ऑपरेशन सिंदूर से पहले मई के पहले सप्ताह में लिखा था. उसके बाद पाकिस्तान के जल मंत्रालय के सचिव ने तीन और पत्र लिख कर भारत से गुहार लगाई कि सिंधु जलसंधि को बरकरार रखा जाए. सूत्रों के अनुसार जल शक्ति मंत्रालय ने सभी पत्रों को विदेश मंत्रालय को भेज दिया है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने पाकिस्तान को साफ कर दिया था कि ट्रेड और टेरर, पानी और खून, गोली और बोली एक साथ नहीं हो सकते. भारत ने सिंधु क पानी को लेकर बड़ी योजनाएं बनानी शुरू कर दी है. इसके तहत 130 किलोमीटर की नहर ब्यास नदी से पानी को गंगनहर तक जोड़ेगी और यमुना को जोड़ने के लिए भी नहर बनाने का प्रस्ताव है. यह 200 किलोमीटर तक का प्रोजेक्ट है. 200 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में 12 किलोमीटर की टनल भी बनेगी. यमुना का पानी गंगासागर तक जा सकता है. इससे दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों को फायदा मिल सकता है.

सरकार के मुताबिक परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है. दो से तीन साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. सिंधु के पानी को लेकर पूरे प्रोजेक्ट का डीपीआर जल्द ही बनेगा. सूत्रों के अनुसार, सिंधु जलसंधि के कारण पाकिस्तान की रबी की फसल बर्बाद हो सकती है लेकिन खरीफ पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. इस संधि के रोकने से पाकिस्तान में केवल फसलों पर ही नहीं जनजीवन पर भी पड़ेगा, पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा.

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