सरकार ने जिसे जहरीला बताकर खरीदने से किया इनकार, वहीं मूंग बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा..

प्रदेश में उपजाए जा रहे मूंग को सरकार ने जहरीला मानते हुए गर्मी में इसकी खरीद से इंकार कर दिया है। यह निर्णय उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि जिस मूंग को सरकार ने जहरीला बताया है, उसकी खरीद-बिक्री मंडी-बाजारों में जारी है। इस स्थिति ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि मूंग में जहर के अंश हैं, तो इसकी बिक्री पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई जा रही?

किसान नेताओं ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजा पत्र

सरकार की इस घोषणा के बाद किसान नेताओं ने प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बिना सबूत के मूंग को जहरीला करार देकर कॉर्पोरेट लॉबी को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। गर्मी के मौसम में बोई जाने वाली फसल को जायद फसल कहा जाता है। मूंग की फसल केवल 60 दिन में तैयार हो जाती है, इसलिए इसे इस अवधि में उगाया जाता है।

मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक एमपी

मध्य प्रदेश गर्मी के मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। पिछले वर्ष प्रदेश में 11.59 लाख हेक्टेयर में मूंग की बोवनी हुई थी, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 13.49 लाख हेक्टेयर हो गई है। नर्मदा पट्टी के 16 जिले प्रमुख उत्पादक माने जाते हैं। इस बार कुल उत्पादन 21 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान है। हर साल प्रदेश सरकार गर्मी के मूंग की एमएसपी पर खरीद करती रही है, जिससे बोवनी में वृद्धि हुई है।

हाल ही में अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पाद आयुक्त अशोक बर्णवाल ने कहा कि मूंग में रासायनों का इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए सरकार इसकी खरीद नहीं करेगी। इस सीजन के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8682 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में मूंग 6000 से 7000 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बिक रहा है। इस निर्णय से किसान नाराज हैं, जबकि मूंग के जहरीला होने की बात से उपभोक्ता चिंतित हैं।

रसायन से तैयार होती है फसल

मूंग की फसल को तैयार करने में 60-70 दिन की अवधि में तीन से चार बार रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। बुवाई के हर 15 दिन में पेस्टीसाइड, उर्वरक और फंगीनाशक का मिश्रण छिड़का जाता है। फूल लाने से पौधों की लंबाई रोकने के लिए भी दवा का उपयोग किया जाता है। फलियां लगने के बाद खरपतवार नाशक, जो आमतौर पर पेराक्वाट नामक रसायन होता है, का छिड़काव किया जाता है। इसी प्रक्रिया के आधार पर सरकार ने मूंग को जहरीला माना है। अब सवाल यह उठता है कि यदि मूंग जहरीला है, तो इसे बिकने क्यों दिया जा रहा है? इन रासायनों के उपयोग और बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही?

 

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