जसवंतनगर : मालगाड़ी से कटकर छात्र की दर्दनाक मौत! RPF की संवेदनहीनता ने सबको चौंकाया

जसवंतनगर :  शनिवार रात को डीएफसीसी रेलवे ट्रैक पर एक हृदयविदारक घटना घटित हुई, जिसमें 23 वर्षीय एक युवक की मालगाड़ी की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई. यह हादसा अप लाइन पर हुआ और मृतक की पहचान रोहित कुमार पुत्र दिलीप कुमार दोहरे, निवासी रेलमंडी, हनुमान मंदिर वाली गली, जसवंतनगर के रूप में हुई है.

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यह खबर क्षेत्र में तेजी से फैल गई, जिससे चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई. विशेष रूप से इसलिए क्योंकि रोहित के पिता, दिलीप कुमार दोहरे, भारतीय रेलवे में जसवंतनगर स्टेशन पर पॉइंटमैन के पद पर कार्यरत हैं, जो इस घटना को और भी दुखद बनाता है.

 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत हरकत में आई. निरीक्षक रामसहाय सिंह ने बताया कि कस्बा इंचार्ज मनीष कुमार अपने हमराहियों अवनीश कुमार, आयुष सचान और सत्यवीर सिंह के साथ तत्काल मौके पर पहुंचे. शव को ट्रैक से हटाकर लगभग आधे घंटे से रुकी हुई मालगाड़ी को आगे बढ़ाया गया, जिससे रेलवे यातायात सामान्य हो सका.
मौके पर पुलिस को एक मोटरसाइकिल खड़ी मिली और युवक की जेब से मिले मोबाइल फोन से उसकी पहचान की पुष्टि हुई. पुलिस के शुरुआती आकलन के अनुसार, यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है. यह दुखद घटना गांव रतनगढ़ के पास से गुजर रही डीएफसीसी रेलवे ट्रैक पर घटित हुई.

 

पुलिस के अनुसार, मृतक के पिता ने बताया कि रोहित रात करीब 7:30 बजे खाना खाकर घर से निकला था, जबकि वे स्वयं अपनी ड्यूटी पर तैनात थे. यह जानकारी पुलिस को तब मिली जब उन्होंने रोहित के पिता को घटना की सूचना दी. रोहित नगर के एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय में एमएससी का छात्र था, जिससे उसकी मौत का दुख और भी गहरा हो गया है. पुलिस ने शव की शिनाख्त के बाद सिटी इंचार्ज मनीष कुमार ने शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके.

 

 

इस दुखद घटना के दौरान एक और अमानवीय पहलू सामने आया, जिसने पुलिस और स्थानीय लोगों को झकझोर दिया. नाम न छापने की शर्त पर एक सिविल पुलिसकर्मी ने बताया कि शव को ट्रैक से हटाने और उसे ढकने के लिए मौके पर मौजूद दो आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) जवानों से एक अंगोछा मांगा गया. चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों जवानों ने अंगोछा देने से साफ इनकार कर दिया.

 

जब सिविल पुलिस द्वारा उन्हें ₹500 की राशि दी गई, तब जाकर उन्होंने अंगोछे उपलब्ध कराए. यह घटना आरपीएफ के कुछ जवानों की कर्तव्य विमुखता और संवेदनहीनता को उजागर करती है, जो इस दुखद घड़ी में भी मानवता से ऊपर पैसे को प्राथमिकता देते दिखाई दिए. इस तरह का व्यवहार पुलिस और जनता दोनों में रोष पैदा कर रहा है.

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