Uttar Pradesh: बड़े मंगलवार को बजरंगी के आकस्मिक निधन पर ब्रम्हभोज का आयोजन, भावुक कर देंगी तस्वीरें

 

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Uttar Pradesh: जेष्ठ माह का बड़ा मंगलवार हिंदू धर्म में भगवान हनुमान का प्रतीक माना जाता जिसका विशेष महत्व है. आपको बता दे कि इस वर्ष भी पांचवें बड़े मंगलवार का आयोजन पूरे देश भर में किया गया और जेष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार को भगवान हनुमान की पूजा अर्चना के साथ ही जगह-जगह भव्य भंडारे का आयोजन किया गया.

वही यूपी के बलिया में बड़े मंगलवार की जो तस्वीर देखने को मिली, यह तस्वीर आपको हैरान कर देगी. आमतौर पर आपने देखा होगा कि इंसानों की मृत्यु के बाद हिन्दू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार और श्राद्ध का कार्यक्रम किया जाता है साथ ही ब्रम्हभोज का आयोजन किया जाता है ऐसी मान्यता है कि मृत आत्मा को शांति और स्वर्ग प्राप्त होता है. लेकिन बलिया में इंसानों की नहीं बल्कि जेष्ठ माह में पड़ने वाले पांचवें बड़े मंगलवार पर एक मृतक लंगूर के लिए ब्रम्हभोज का आयोजन किया गया. 

आपको बता दे की बंदरो को इंसानों का पूर्वज माना जाता है कहा जाता है कि हम इंसान इन्ही के वंशज है। हिंदू धर्म में बंदरों की तुलना भगवान हनुमान से किया जाता है अर्थात भगवान हनुमान का रूप माना जाता है। एक लंगूर जिसका नाम बजरंगी है सायद यही वजह है की बलिया शहर के चमन सिंह बाग रोड में बड़े मंगलवार को मृतक बजरंगी के निधन के बाद विधि विधान से न केवल अंतिम संस्कार किया गया बल्कि 16 दिन बाद बड़े मंगलवार को ब्रम्हभोज का आयोजन किया गया.

ये तस्वीर आप को भावुक कर देगी. दरअसल जिस तस्वीर पर लोग पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है ये वही लंगूर ‘बजरंगी’ है जिसका निधन कुछ हफ़्तों पहले हो चुका है। ब्रम्हभोज कार्यक्रम के आयोजक बंटू तिवारी ने बताया कि इस बजरंगी से सभी का लगाव था। चमन सिंह बाग रोड पर गाड़ी के ड्राइवरों ने इसे घायल अवस्था मे पाया था जिसका इलाज करवाया और लंबे समय तक बजरंगी इनके साथ रहा। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब बजरंगी का आकस्मिक निधन हो गया। गाड़ी ड्राइवरों ने इसका नाम बजरंगी रखा था। बजरंगी के निधन ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। हर किसी का बजरंगी से इंसानों की तरह जुड़ाव व लगाव हो चुका था। बजरंगी के साथ बिताए गए कई वीडियो भी ब्रम्हभोज कार्यक्रम के दौरान एलईडी स्क्रीन पर सार्वजनिक किया गया जिसे देख लोग भावुक हो गए। इस दौरान भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया. 

बजरंगी के निधन से दुखी लोगों ने नम आंखों से हिन्दू रीति रिवाज के साथ गंगा नदी में अंतिम संस्कार किया और बड़े मंगलवार पर आयोजित होने वाले भंडारे को ब्रम्हभोज का रूप देने का निर्णय लिया. जहां भगवान हनुमान को मानने वाले भक्तों की भीड़ देखने को मिली. हर किसी ने बजरंगी को श्रद्धांजलि अर्पित किया. नगर में एक तरफ बड़े मंगलवार को जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया तो वही बजरंगी के निधन के बाद भंडारे का आयोजन तो हुआ लेकिन ब्रम्हभोज के रूप में किया गया जो न केवल चर्चा का विषय है बल्कि प्रकृति के प्रति अपनी सोच को बदलने का बड़ा अवसर माना जा रहा है क्योंकि प्रकृति ने हम इंसानों की उत्तपत्ति से पूर्व इन बेजुबानों को धरती पर जन्म दिया था जिसकी देखभाल और सुरक्षा हम इंसानों का धर्म है. 

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