अयोध्या: वैकल्पिक गर्भगृह बनेगा ऐतिहासिक धरोहर, खुदाई में मिले प्राचीन पत्थरों का भी होगा संरक्षण

अयोध्या: रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के अस्थायी निवास यानी वैकल्पिक गर्भगृह को अब इतिहास के पन्नों में दर्ज करने की तैयारी है. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस मंदिर को संरक्षित स्मारक के रूप में सहेजने जा रहा है। यही नहीं, मंदिर निर्माण के दौरान नींव की खुदाई और अन्य परियोजनाओं में प्राप्त प्राचीन शिलाओं को भी विशेष संरक्षण मिलेगा.

ट्रस्ट की पहल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने हाल ही में स्थल का निरीक्षण किया और प्राचीन पत्थरों के संरक्षण को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए. इस ऐतिहासिक धरोहर को आम श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाने की योजना भी बनाई जा रही है.

गौरतलब है कि 25 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया था। यहीं पर लगभग चार वर्षों तक रामलला विराजमान रहे। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला का पुनः प्रतिष्ठापन किया.

राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव ने बताया कि खुदाई के दौरान मिली हर एक प्राचीन शिला को सहेजा जाएगा। न्यायालय के आदेश पर पहले हुई खुदाई में मिले साक्ष्यों की तरह, अब नई शिलाओं को भी परिसर में सुरक्षित स्थान पर संरक्षित किया जाएगा.

ट्रस्ट की योजना:

  • वैकल्पिक गर्भगृह को स्मारक के रूप में संरक्षित करना
  • प्राचीन शिलाओं को दर्शनीय बनाना
  • एएसआई की देखरेख में संरक्षण की प्रक्रिया

 आने वाले समय में श्रद्धालुओं को मिलेगा इन ऐतिहासिक शिलाओं के दर्शन का सौभाग्य.

यह कदम न सिर्फ धार्मिक आस्था को सहेजने की दिशा में है, बल्कि अतीत के उन ऐतिहासिक साक्ष्यों को भी उजागर करेगा, जो श्रीरामजन्मभूमि की गौरवगाथा के मौन साक्षी हैं.

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