सुपौल: जिले के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के बीच बनी वेतन विसंगति समाप्त होने का रास्ता साफ हो गया है. इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सुपौल जिला शिक्षा पदाधिकारी समेत अन्य जिलों के डीईओ को निर्देश जारी किया है. जारी निर्देश में शिक्षकों के बीच वर्षों से बनी वेतन विसंगति को दूर करने के लिए न सिर्फ पहल की गई है बल्कि इसके लिए डेटलाइन भी निर्धारित कर दिया गया है.
निर्देश दिया है कि ग्रीष्मावकाश के बाद शिक्षकों से वेतन संबंधी आपत्तियां एकत्र की जाएं. फिर इसके आधार पर वेतन का पुनर्निर्धारण कर बकाया भुगतान देना सुनिश्चित किया जाए. इसके लिए विभाग ने 31 जुलाई तक समय सीमा निर्धारित किया है. मुख्य सचिव ने डीईओ को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी देरी के लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे. इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना राहुल चंद चौधरी ने बताया कि निर्देश में जिस बात की विशेष रूप से जिक्र की गई है उसमें खासकर नियोजित व विशिष्ट शिक्षकों से वेतन विसंगति से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि नियोजित से विशिष्ट शिक्षक बने लोगों को सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी उचित वेतनमान नहीं मिल रहा.
इसके अलावा कुछ प्राथमिक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षकों से अधिक वेतन मिलने की भी बात कही गई है, जो संवर्ग परिवर्तन और सेवा निरंतरता की कमी के कारण है. 15-20 साल से सेवा दे रहे शिक्षकों को भी वरीयता और बकाया भुगतान में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा से संबंधित वेतन विसंगति मामलों का निपटारा करना है. इसके बावजूद यदि वेतन विसंगति से संबंधित मामले आपत्ति के दौरान आते हैं तो फिर उसे तय समय सीमा के अंदर दूर किया जाएगा. बताया कि निर्देश के मुताबिक ग्रीष्मावकाश समाप्त होने के बाद शिक्षकों से वेतन विसंगति संबंधी शिकायतें एकत्र किए जाएंगे. इन आपत्तियों की समीक्षा के बाद वेतन पुनर्निर्धारण किया जाएगा.