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पता चल गया अंबानी के निवेश का फॉर्मूला, 17 सालों में कर दिया कमाल

जो जितना आगे का सोचता है. वह उतना ही आगे जाता है…इस तरह की बातें आपने गाहे-बगाहे अपनी आम जिंदगी में जरूर सुनी होंगी. सोच बड़ी होनी चाहिए. सब कुछ आसान हो जाता है. यह सारी बातें एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी पर एकदम सटीक लागू होती हैं. मुकेश अंबानी, मुकेश अंबानी क्यों है. इसका उदाहरण हाल ही में देखने को मिला. उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री ने 17 साल पहले एक निवेश का दांव चला था. एक फॉर्मूला लगाया था. जो आज उनको 2200 प्रतिशत का रिटर्न दे गया. आइए आपको हम अंबानी के उस निवेश फॉर्मूले और रिटर्न के बारे में डिटेल से बताते हैं.

2008 में जब वैश्विक शेयर बाजार संकट में डूबा था, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने चुपके से एशियन पेंट्स में 4.9% हिस्सेदारी सिर्फ 500 करोड़ रुपये में खरीदी थी. उस समय यह निवेश जोखिम भरा लग रहा था, लेकिन मुकेश अंबानी की दूरदर्शिता ने इसे एक सुनहरा अवसर बना दिया. अब, 17 साल बाद, रिलायंस ने अपनी इस हिस्सेदारी का 3.6% हिस्सा एसबीआई म्यूचुअल फंड को 7704 करोड़ रुपये में बेच दिया. कंपनी ने गुरुवार को सिद्धांत कॉमर्शियल्स लिमिटेड के जरिए 3.5 करोड़ शेयर 2201 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर बेचे. इस हिसाब से कह सकते हैं कि अंबानी का निवेश फॉर्मूला= 17 साल + निफ्टी स्टॉक = 2200 प्रतिशत रिटर्न.

दिन एशियन पेंट्स का शेयर 2218.05 रुपये पर बंद हुआ. डिविडेंड को मिलाकर रिलायंस ने अपने इस निवेश पर करीब 23 गुना रिटर्न हासिल किया. बिक्री के बाद, सिद्धांत कॉमर्शियल्स की एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी 4.9% से घटकर 1.26% रह गई, जबकि एसबीआई म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 1.51% से बढ़कर 5.15% हो गई.

दूर की सोचने का हुआ फायदा

रिलायंस का यह कदम बेहद सोचा-समझा और सटीक था. पिछले दो सालों में एशियन पेंट्स के शेयर 32% गिरे हैं, जो निफ्टी के बड़े शेयरों में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वालों में से एक है. भारत का 9 अरब डॉलर का पेंट उद्योग इस समय कड़ी प्रतिस्पर्धा और मार्जिन दबाव का सामना कर रहा है. एशियन पेंट्स, जो लंबे समय तक इस सेक्टर की बादशाह रही, अब नए खिलाड़ियों जैसे आदित्य बिड़ला ओपस और जेएसडब्ल्यू पेंट्स से चुनौती झेल रही है.

क्यों खास है अंबानी का यह निवेश?

रिलायंस ने पांच साल पहले भी इस हिस्सेदारी को बेचने की योजना बनाई थी, जब कंपनी टेलीकॉम और रिटेल कारोबार के लिए 25 अरब डॉलर जुटा रही थी. लेकिन, तब उसने हिस्सेदारी नहीं बेची और यह फैसला सही साबित हुआ. इस लंबी अवधि के निवेश ने उन्हें भारी मुनाफा दिया. मुकेश अंबानी का यह निवेश फॉर्मूला सिखाता है कि धैर्य, सही समय और दूरदर्शिता के साथ किया गया निवेश कितना बड़ा रिटर्न दे सकता है. मार्केट में लंबे समय तक टिके रहना कितना फायदेमंद हो सकता है.

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