केदारनाथ में भीड़ से बचने के लिए लगाया ऐसा जुगाड़, एंबुलेंस में मरीज बनकर पहुंचे श्रद्धालु, फिर जो हुआ…

सोनप्रयाग में पुलिस ने दो एंबुलेंस रोकीं, जिनमें मरीजों के बजाय यात्री थे. ड्राइवरों ने स्वीकार किया कि उन्होंने एंबुलेंस किराए पर दी थी. पुलिस ने मौके पर ही दोनों एंबुलेंस को जब्त कर लिया और मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान काटा गया.

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केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान भीड़ से बचने के लिए कुछ तीर्थयात्रियों की ओर से आपातकालीन एंबुलेंस सेवाओं के चौंकाने वाले दुरुपयोग का मामला सामने आया है. रुद्रप्रयाग जिले के सोनप्रयाग में दो एंबुलेंस को रोका गया, जिनमें मरीजों की बजाय यात्री सवार थे, जोकि केदारनाथ मंदिर की ओर जा रही लंबी कतारों से बचना चाहते थे.

शनिवार को सोनप्रयाग के पास केदारनाथ धाम की 16 किलोमीटर की चढ़ाई शुरू होने से ठीक पहले पुलिस ने एक्रो ब्रिज के पास गौरीकुंड की ओर जा रही दो एंबुलेंस को रोका. संदेह इस बात पर हुआ कि गौरीकुंड में न तो कोई अस्पताल है और न ही किसी आपातकालीन चिकित्सा स्थिति की सूचना मिली, तो ऐसे में इस रास्ते से एंबुलेंस कैसे जा रही है.

एंबुलेंस में कोई मरीज नहीं था

जांच के दौरान यह पाया गया कि दोनों एंबुलेंस में न तो स्ट्रेचर था, न कोई मेडिकल उपकरण और न ही कोई बीमार व्यक्ति. इसके बजाय, आम तीर्थयात्री की वेशभूषा में तीन लोग आराम से बैठे मिले, जिनमें बीमारी या अस्वस्थता का कोई संकेत नहीं था. जब पुलिस ने पूछताछ की तो ड्राइवर—हरिद्वार निवासी निखिल विल्सन मसीह और अमरोहा के कृष्ण कुमार—ने कबूल किया कि उन्होंने एंबुलेंस यात्रियों की सुविधा के लिए किराए पर दी थी, न कि किसी चिकित्सा आपातकाल के लिए.

इनमें से एक एंबुलेंस वातानुकूलित लग्ज़री वाहन थी, जिसे एक तीर्थयात्री ने विशेष रूप से बुक किया था. दूसरी एंबुलेंस में दो यात्री सवार थे. ड्राइवरों ने बताया कि रास्ते में उन्होंने तीन अन्य लोगों को भी एंबुलेंस में बैठा लिया, जिससे यह वाहन साझा टैक्सी जैसा बन गया.

पैदल या शटल सेवा से तय की जाती है दूरी

गौरतलब है कि सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच की दूरी आमतौर पर पैदल या शटल सेवा से तय की जाती है. पुलिस ने मौके पर ही दोनों एंबुलेंस को जब्त कर लिया और मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान काटा गया. हालांकि, जांच से पहले ही तीनों तीर्थयात्री भीड़ में गायब हो गए. ड्राइवरों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वे केवल वाहन मालिकों के निर्देशों का पालन कर रहे थे.

सोनप्रयाग में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कहा, अगर कोई वास्तव में बीमार है, तो उसे गौरीकुंड के ट्रैकिंग रूट की ओर नहीं, बल्कि सोनप्रयाग, रामपुर या रुद्रप्रयाग जैसे उपचार केंद्रों की ओर ले जाया जाना चाहिए.

 

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