गर्म या ठंडी…अर्थराइटिस से लिए कौन सी थेरेपी है बेस्ट? जानें कब और कैसे करें इस्तेमाल

अर्थराइटिस की समस्या का सामना आजकल बहुत से लोगों को करना पड़ता है. पहले इस समस्या का सामना सुर्फ बूढ़े लोगों को करना पड़ता था लेकिन अब युवाओं को भी इसका सामना करना पड़ रहा है. अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन का सामना करना पड़ता है. अर्थराइटिस के दर्द से छुटकारा पाने के लिए अक्सर लोग आइस पैक और हीटिंग पैड का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इन दोनों में से किससे अर्थराइटिस का दर्द ठीक हो सकता है आइए जानते हैं.

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हीट और कोल्ड थेरेपी के बीच अंतर

हीट और कोल्ड थेरेपी दोनों ही अर्थराइटिस के लक्षणों कम करने में मदद कर सकते हैं. ये दोनों ही थेरेपी अलग-अलग पहलुओं को फोकस करके दर्द और इंफ्लेमेशन को ठीक करने में मदद करती हैं. हीट थेरेपी क्रॉनिक स्टिफनेस को कम करने में मदद करती है. गर्मी दर्द वाली जगह पर खून के फ्लो को बेहतर बनाती है जो आसपास की मसल्स को आराम देने और ज्वॉइंट्स को ढीला करने में मदद करती है.

वहीं, दूसरी ओर कोल्ड थेरेपी, इंफ्लेमेशन को कम करने के लिए फायदेमंद मानी जाती है. आइस दर्द वाले एरिया में ब्लड के फ्लो को धीमा करके इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद करती है. आइस नेचुरल नंबिंग एजेंट के रूप में काम करती है और दर्द से छुटकारा दिखाती है.

अर्थराइटिस के दर्द में कब करें हीट और आइसथेरेपी का इस्तेमाल

अगर आपके जवॉइंट्स में अकड़न है तो इसके लिए हीट और इंफ्लेमेशन के लिए आइस थेरेपी का इस्तेमाल करना फायदेमंद माना जाता है. अगर आपको बहुत ज्यादा इंफ्लेमेशन का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए आइस थेरेपी सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है. यह जोड़ों में होने वाली सूजन को कम करती है.

इन बातों का रखें ध्यान

हीट और कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करते समय एक बात का ख्याल रखें कि इसे डायरेक्ट स्किन पर ना लगाए. हमेशा आइस पैक को तौलिए में लपेटकर रखें और अगर आपकी स्किन बहुत लाल या सुन्न हो जाए तो उसे हटा दें. हीट थेरेपी को भी 15-20 मिनट से ज्यादा नहीं करना चाहिए.

 

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