इस कारण पोषण पुनर्वास केंद्र चलाने वाली संस्था कर्ज लेकर संस्था को संचालित कर रही है। भिक्षुकों को आजीविका से जोड़ने के लिए मोवा स्थित भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में दोना पत्तल बनाना, अगरबत्ती, धूप बत्ती, आचार, चप्पल बनाना, मशरूम पालन इत्यादि की ट्रेनिंग दी जाती है, जो भिक्षुक प्रशिक्षण लेना चाहते हैं उन्हें ही यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, यहां बनने वाले दोना पत्तल का यहीं उपयोग किया जाता है।
पुनर्वास केंद्र में ही मिला रोजगार पोषण पुनर्वास केंद्र में ही कुछ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अलिशा यादव बताती हैं कि वह माना कैंप में रहती थी, एक दिन पुलिस उन्हें पकड़कर भिक्षुक पुनर्वास केंद्र लेकर आई। जब अलिशा को यहां लाया गया तब वह चार माह की गर्भवती थी। आज अलिशा अपने एक साल के बच्चे के साथ भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में रहती है और केयर टेकर का काम करती हैं। इस काम के लिए एनजीओ उन्हें पैसे भी देता है। अलिशा बीते दो वर्ष से भिक्षुक पुनर्वास केंद्र मोवा में रह रही हैं।
भीख मांग कर करती थीं जीवनयापन
रायपुर की रहने वाली ललिता शर्मा ने बताया की वह भीख मांगकर अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण करती थीं। एक दिन पुलिस ने उन्हें भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में लाकर छोड़ दिया। बीते दो वर्ष से ललिता अपने दो बच्चों के साथ केंद्र में रह रही हैं और केयर टेकर के रूप में काम कर रही है। ललिता पुनर्वास केंद्र से बीमार लोगों को अस्पताल लाने ले जाने का काम कर रही हैं, जिसके लिए एनजीओ उन्हें पैसे भी देता है।
बहू से परेशान होकर घर से निकल गई
लक्ष्मी गोंड अपने पति के गुजरने के बाद अपने बेटे-बहू से परेशान होकर घर से निकल आई और शास्त्री बाजार में काम करने लगी। इसके बाद वह पुलिस की मदद से भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में पहुंची। बीते चार सालों से लक्ष्मी भिक्षुक पुनर्वास केंद्र को ही अपना घर मानकर रह रही हैं।
एक सालों से पानी के लिए हो रहे परेशान भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में पिछले एक साल से पानी की समस्या बनी हुई है। यहां नल में पानी नहीं आ रहा है। पानी की व्यवस्था टैंकर के जरिये की जा रही है। बिल्डिंग में भी सीपेज आने लग गया है, जिसकी वजह से काफी परेशानी हो रही है।
नहीं मिल रहा अनुदान- शर्मा
एनजीओ संचालिका ममता शर्मा ने बताया कि भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बीते दो वर्ष से उधार पर चल रहा है। शासन की ओर से मिलने वाला अनुदान नहीं मिला है, जिसकी वजह से लोन लेकर, गहने गिरवी रखकर भिक्षुक पुनर्वास केंद्र को संचालित किया जा रहा है।