अमेरिका द्वारा ईरान पर हाल ही में किए गए हमले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का खुला उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई ईरान को परमाणु शक्ति बनने से नहीं रोकेगी, बल्कि इसके चलते ईरान अगले 5-10 सालों में परमाणु संपन्न राष्ट्र बन सकता है।
शनिवार देर रात अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर हमला किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इन साइट्स को नष्ट कर दिया गया है। ओवैसी ने इस हमले को अनुचित करार देते हुए कहा कि अमेरिका और इजराइल की इस तरह की कार्रवाइयों से ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं और तेज होंगी। उन्होंने कहा, “कौन जानता है कि हमले से पहले ही ईरान ने अपने परमाणु स्टॉक को कहीं और शिफ्ट कर दिया हो?”
ओवैसी ने चेतावनी दी कि इस घटना के बाद कई अरब देश भी परमाणु क्षमता हासिल करने की दिशा में सोचने को मजबूर होंगे ताकि इजराइल और अमेरिका जैसे देशों के हमलों से खुद को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि यह स्थिति क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकती है।गाजा में इजराइल द्वारा किए जा रहे हमलों पर भी ओवैसी ने अमेरिका पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीतियां इजराइल सरकार के अपराधों पर पर्दा डालने का काम कर रही हैं। ओवैसी ने गाजा में जारी हिंसा को नरसंहार करार दिया और सवाल उठाया कि कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा कि इजराइल के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
इसके साथ ही ओवैसी ने पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 2026 के लिए डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर अपनी असलियत दिखा दी है। ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान का यह कदम और उसके सेना प्रमुख का ट्रंप के साथ लंच करना दिखाता है कि वो किस स्तर पर अमेरिका का साथ दे रहा है।
ओवैसी ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार अमेरिका द्वारा ईरान पर की गई इस एकतरफा कार्रवाई की कड़ी निंदा करेगी और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं.