अयोध्या के स्वास्थ्य तंत्र में हड़कंप मचाने वाला खुलासा—जिले में बिना मानकों के धड़ल्ले से चल रहे निजी अस्पतालों पर आखिरकार स्वास्थ्य विभाग ने शिकंजा कस दिया है। सीएमओ डॉ. सुशील कुमार बानियान की अगुवाई में हुई कार्रवाई में अब तक 20 मानकविहीन अस्पतालों पर कार्रवाई हो चुकी है.
सबसे बड़ा खुलासा:
इन अस्पतालों में बिना चिकित्सक और स्टाफ नर्स के ऑपरेशन तक हो रहे थे, जिससे मरीजों की जान से सीधा खिलवाड़ हो रहा था। सीजेरियन डिलीवरी का धंधा फलता-फूलता मिला, जहां आशाओं के जरिए सरकारी अस्पताल की प्रसूताओं को प्राइवेट अस्पताल भेजा जा रहा था.
दलालों पर निगरानी, कंट्रोल रूम एक्टिव
स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने और निजी अस्पतालों में रेफर करने वाले दलाल नेटवर्क पर निगरानी के लिए कंट्रोल रूम भी सक्रिय कर दिया है। सीएमओ ने सीएचसी पूरा बाजार व बीकापुर के अधीक्षकों का वेतन रोक दिया है, क्योंकि वहां तय प्रसव संख्या के मुकाबले एक भी सीजेरियन नहीं हुआ.
पंजीकरण झूठा? तो सीधे कार्रवाई!
सीएमओ ने चेतावनी दी है कि पंजीकरण के समय दिखाए गए मेडिकल स्टाफ और सुविधाएं यदि मौके पर नहीं मिलीं, तो संबंधित अस्पतालों पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई होगी। आईसीयू, सीसीयू में एमबीबीएस डॉक्टर अनिवार्य हैं.
आशाओं पर भी चली गाज
रुदौली व कुमारगंज क्षेत्र के अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को आशाओं के माध्यम से लाने का मामला सामने आया। जब अस्पताल में डॉक्टर और नर्स तक नहीं मिले तो तीन आशाओं की सेवाएं तुरंत समाप्त कर दी गईं.
हेल्थ सेक्टर बना मुनाफे का अड्डा
शहर से लेकर गांव तक निजी अस्पतालों की बाढ़—लेकिन मानक ताक पर। सबसे ज्यादा केस सीजेरियन डिलीवरी से जुड़े मिले.
ीएमओ डॉ. सुशील बानियान ने कहा:
“हम लगातार निरीक्षण कर रहे हैं.जो भी निजी अस्पताल पंजीकरण के वक्त दिए गए वादों पर खरे नहीं उतरेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.मरीजों की जान से किसी को खेलने नहीं देंगे.”
स्वास्थ्य विभाग की इस मुहिम से साफ है कि अब अयोध्या में फर्जी स्वास्थ्य सेवाओं का कारोबार ज्यादा दिन नहीं चलेगा. आगे भी जिलेभर में ऐसे अस्पतालों की छानबीन और छापेमारी जारी रहेगी.