दिव्यांग’ कह देने से जिंदगी नहीं बदलती, मध्य प्रदेश में आज भी मिल रही सिर्फ ₹600 पेंशन 

‘दिव्यांग’ कह देने से जिंदगी नहीं बदलती. मध्य प्रदेश में आज भी हजारों दिव्यांगजनों को सिर्फ ₹600 प्रति माह पेंशन मिल रही है. एक ऐसी राशि, जो न तो दवा के लिए काफी है और न ही जीवन की मूलभूत जरूरतों के लिए. भोपाल की रहने वाली 38 वर्षीय शीतल धुले मसल डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. उनका शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर चुका है. उनके पति दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी कमाई अक्सर दो वक्त की रोटी जुटाने में ही कम पड़lती.

बिस्तर पर पड़ी शीतल को हर दिन मां और पति की मदद की जरूरत होती है. लेकिन सरकारी मदद के नाम पर उन्हें सिर्फ ₹600 पेंशन मिलती है. शीतल कहती हैं, दर्द से ज्यादा तकलीफ इस बात की है कि जैसे हमें भुला दिया गया है. शीतल का कहना है कि उनका जीवन अब बोझ बन गया है, जिसे हर दिन ढोना पड़ता है. शीतल का कहना है कि विदेशों में उनकी बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दर्द कम करने और शरीर को थोड़ा ठीक रखने के लिए इंजेक्शन मौजूद हैं, जिनकी कीमत कोरोड़ों रुपये में है.पूरे मध्य प्रदेश में लाखों दिव्यांगजन इसी तरह जी रहे .

कम पेंशन ने झूझने वाली शीतल अकेली नहीं हैं, 21 साल के शैलेंद्र और सागर जैसे दृष्टिबाधित छात्र भी उसी संघर्ष से जूझ रहे हैं. पढ़ाई के लिए भोपाल आए ये छात्र कई बार पेंशन भी नहीं पा पाते. ₹600 में न किताबें मिलती हैं, न भोजन. शैलेंद्र कहते हैं, कम से कम ₹1000 तो मिलना ही चाहिए. आदिवासी जिले अलीराजपुर से आने वाले ये युवक भोपाल में पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन 600 रुपये की पेंशन से वो होस्टल की फीस तक जमा नहीं करा पता हैं. कई दिन ऐसे होते हैं, जब उनके पास एक रुपया भी नहीं होता. शैलेंद्र और सागर का कहना है कि कम से कम उन्हें 1 हजार रुपये पेंशन तो मिलनी ही चाहिए.

देशभर में जहां बाकी राज्य दिव्यांगजनों को बेहतर पेंशन दे रहे हैं.

आंध्रप्रदेश ₹6000

हरियाणा ₹3000

दिल्ली ₹2500

गोवा ₹2000

केरल ₹1600

तेलंगाना व राजस्थान ₹1500

बिहार ₹1100

लेकिन मध्य प्रदेश में आज भी केवल ₹600

मध्य प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा दिव्यांगजन हैं

राज्य में 25 लाख से ज्यादा दिव्यांगजन हैं, लेकिन सिर्फ 9.49 लाख के पास यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड है. साल  2023 में विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी सरकार ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि दिव्यांगजनों को ₹1500 प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी. लेकिन एक वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी यह वादा अधूरा है. प्रदेश के सामाजिक न्याय मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का कहना है कि यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जा चुका है और मुख्यमंत्री को भी इसकी जानकारी दी गई है. हालांकि, मंजूरी अभी लंबित है. मंत्री ने बताया कि पेंशन का एक हिस्सा केंद्र सरकार से भी आता है, इसलिए वहां से भी स्वीकृति जरूरी है. बावजूद इसके, उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार दिवाली तक लाड़ली बहना योजना की राशि ₹1500 करने की तैयारी कर रही है. इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने आरोप लगाया कि सरकार वोट बैंक के लिए चुनिंदा योजनाओं पर ध्यान दे रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं से वोट चाहती है, इसलिए उनकी राशि बढ़ा रही है. लेकिन दिव्यांगों का क्या? ये अन्याय है और हम इसे विधानसभा में उठाएंगे. अगर एक योजना की राशि बढ़ सकती है, तो दिव्यांग पेंशन क्यों नहीं?

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना

बता दें,  सितंबर 2024 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि ₹600 की पेंशन को बढ़ाकर ₹1562 करने की याचिका पर 45 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाए. यह मांग 2016 के दिव्यांग अधिकार अधिनियम की धारा 24 के आधार पर थी, जिसमें कहा गया था कि यदि राज्य कोई सामाजिक पेंशन योजना देता है, तो दिव्यांगजनों को सामान्य लाभार्थियों की तुलना में 25% अधिक पेंशन दी जानी चाहिए. लेकिन कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

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