टीके से वंचित रह गए भारत के लाखों बच्चे…इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा, दुनिया के 8 देशों की स्थिति खराब

जब किसी भी घर में बच्चा पैदा होता है तो पैदाइश के बाद बच्चे का खास ख्याल रखा जाता है. उसको कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं. पोलियो के टीके का विज्ञापन तो आपको याद ही होगा. दो बूंद जिंदगी की. लेकिन हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है जो बताती है कि भारत के लाखों बच्चे कैसे टीके लगाने से वंचित रह गए.

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द लांसेट जर्नल में सामने आई रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत उन 8 देशों में से एक है जहां साल 2023 तक दुनिया भर के आधे से ज्यादा ऐसे बच्चे रहते थे जिन्हें टीके नहीं लगाए गए. रिसर्च में पाया गया कि साल 2023 में 15.7 मिलियन बच्चे थे जिन्हें टीके नहीं लगे, जिनमें भारत में करीब 14 लाख थे जिन्हें डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस वैक्सीन की कोई खुराक नहीं मिली थी.

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8 देशों में हालात खराब

रिसर्च में सामने आया कि 8 देश ऐसे हैं जहां बच्चों के लिए हालात खराब हैं. साल 2023 तक, 15.7 मिलियन बच्चे पूरी दुनिया में ऐसे थे जिन्हें टीके नहीं लगे, इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा सिर्फ 8 देशों में थे. नाइजीरिया, भारत, कांगो, इथियोपिया, सोमालिया, सूडान, इंडोनेशिया और ब्राजील. ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2023 वैक्सीन कवरेज कोलैबोरेटर्स’ बनाने वाले रिसर्चर की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 204 देशों और क्षेत्रों के लिए 1980 से 2023 तक वैक्सीन कवरेज को लेकर डाटा इकट्ठा किया. 1980 में सामने आया कि 5 देशों में भारत, चीन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश में ऐसे बच्चे थे जिन्हें कभी कोई टीके नहीं लगाए गए.

धीरे-धीरे लोग हुए जागरूक

इस रिसर्च में टीम ने उन सभी 11 वैक्सीन का डाटा इकट्ठा किया है जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए डब्ल्यूएचओ की तरफ से मानक है. 1980 और 2023 के बीच, दुनिया भर में डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी (पर्टुसिस), खसरा, पोलियो और तपेदिक जैसी बीमारियों के खिलाफ टीका कवरेज दोगुना हुआ. लोग इनको लेकर जागरूक हुए. रिसर्च में यह भी सामने आया कि कैसे समय के साथ टीके न लगाने वाले बच्चों की तादाद में कमी हुई है. साल 1980 में ऐसे 58.8 मिलियन बच्चे थे जिनको कभी टीका नहीं लगाया गया. वहीं, साल 2019 में ऐसे 14.7 मिलियन बच्चे थे जिनको कभी वैक्सीन नहीं लगी.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2010 और 2019 के बीच 204 में से 100 देशों में खसरे के टीकाकरण की दर में गिरावट आई, जबकि 36 विकसित देशों में से 21 में डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी, खसरा, पोलियो या तपेदिक के खिलाफ कम से कम एक टीके की खुराक की कवरेज में गिरावट देखी गई.

रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 के स्तर की तुलना में कभी टीके की खुराक न मिलने वाले बच्चों की संख्या को आधा करने के 2030 के टारगेट को हासिल करने के लिए तेजी से इस पर काम किया जाना जरूरी है. अनुमान है कि 2023 तक 204 देशों और क्षेत्रों में से सिर्फ 18 ही इस टारगेट को पूरा कर पाए हैं.

क्यों नहीं मिलता बच्चों को टीका

लगातार वैश्विक असमानताएं, कोविड-19 महामारी के कारण सामने आई चुनौतियां के चलते भी टीकाकरण में गिरावट आई है. टीके के बारे में गलत जानकारी और झिझक में भी लोगों के बीच बढ़ोतरी हुई. साथ ही गरीबी और टीके को लेकर आज भी लोगों में कहीं न कहीं डर और संकोच है, जिसके चलते यह नतीजे सामने आते हैं.

 

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