मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (आर्थिक अपराध शाखा-EOW) ने रियल एस्टेट कंपनी के प्रमोटर की शिकायत पर वसई के जयेंद्र ठाकुर उर्फ भाई ठाकुर के परिजनों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात, जालसाजी समेत BNS की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने बताया कि मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी पोद्दार डेवलपर्स के प्रमोटर रोहित पोद्दार द्वारा दर्ज कराई शिकायत के आधार पर वसई-विरार के जयेंद्र ठाकुर के भतीजे मेहुल ठाकुर, चचेरे भाई दीपक ठाकुर और दो अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात, जालसाजी और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
2012 में हुई थी मुलाकात
आरोप है कि इन लोगों ने 2012 में पोद्दार हाउसिंग को 30 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का शिकार बनाया और न तो कोई जमीन दी और न ही भुगतान वापस किया.
रोहित की शिकायत के अनुसार, साल 2012 में उनकी मुलाकात मेहुल ठाकुर से हुई थी. इसके बाद एक अन्य मुलाकात में मेहुल ने वसई-विरार में अपने परिवार के राजनीतिक रसूख और प्रभाव का हवाला देते हुए पोद्दार हाउसिंग को वसई-विरार में एक टाउनशिप प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव दिया.
300% मुनाफे का किया था दावा
मेहुल ने दावा किया कि इस प्रोजेक्ट से कंपनी को 300 प्रतिशत मुनाफा होगा. मेहुल के पिता दीपक ठाकुर ने भी आश्वासन दिया कि वसई और पालघर में टाउनशिप के लिए बड़ी जमीनें खरीदी जाएंगी और उन्होंने पोद्दार को जमीन के कुछ टुकड़े भी दिखाए. दोनों ने टाउनशिप प्रोजेक्ट के लिए जमीन के टुकड़े फाइनल कर लिए.
इसके बाद रोहित पोद्दार और मेहुल ठाकुर ने मिलकर एक पोद्दार विवा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पार्टनरशिप फर्म बनाई. इस कंपनी के गठन के लिए मेहुल ठाकुर की विवा ग्रुप कंपनी के तीन पूर्व निदेशक राधे खानोलकर, विनय वर्तक और विनर वर्तक को हटा दिया गया.
13 साल तक न जमीद दी और न पैसा
शिकायत की माने तो कुछ महीनों बाद दीपक और मेहुल ने किसानों को भुगतान के लिए पोद्दार से बार-बार राशि मांगी और पोद्दार ने कंपनी के खाते में 30 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. हालांकि, ठाकुर परिवार ने न तो भुगतान की कोई रसीद दी और न ही किसानों को भुगतान का कोई सबूत दिया. वहीं, जब पोद्दार ने और पैसे की मांग पर सवाल उठाए तो ठाकुर परिवार ने दावा किया कि और भुगतान की जरूरत है. इस पर रोहित को संदेह हुआ और उन्होंने फर्म पोद्दार विवा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते के जांच की, जिससे पता चला कि 30 करोड़ रुपये के भुगतान को अवैध रूप से मेहुल ठाकुर की एक अन्य विवा ग्रुप कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिया.
इसके बाद पोद्दार लगातार पैसे वापस करने की मांग करते रहे, लेकिन मेहुल और दीपक जमीन इंतजाम होने का दावा करते रहे. पर 13 साल तक न तो कोई जमीन दी गई और न ही कोई भुगतान वापस मिला.
शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि पोद्दार विवा कंस्ट्रक्शन लिमिटेड से मेहुल ठाकुर के विवा ग्रुप कंपनी खाते में धन के हस्तांतरण के लिए, विनय वर्तक, राधे खानोलकर जो निदेशक सेवानिवृत्त हो चुके थे, ने गलत तरीके से एक प्रस्ताव पारित किया और मेहुल ठाकुर को पोद्दार विवा कंस्ट्रक्शन का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता बना दिया. और इस प्रस्ताव को पार्टनरशिप फर्म के बैंक खाते से धन ट्रांसफर करने के लिए बैंक में दिखाया गया था.
EWO को सौंपी गई जांच
पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पकर एनएम जोशी मार्ग थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया था और अब जांच मुंबई पुलिस EWO को सौंप दी गई है.
पुलिस ने बताया कि ED ने साल 2021 में मेहुल ठाकुर को मैकस्टार मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और अमेरिकी निवेश कोष से ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया था.