चोरी की डिजाइन, लाखों में लगाई कीमत…कोल्हापुरी चप्पल पर घिर गई इटली की कंपनी

बीजेपी सांसद धनंजय महादिक ने कोल्हापुरी चप्पल के जीआई टैग उल्लंघन के लिए इटली के फैशन ब्रांड प्रादा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मामले में लेटर लिखा है. धनंजय महादिक ने फडणवीस सरकार से कोल्हापुरी चप्पलों के जीआई टैग को बचाने के लिए आग्रह किया है.

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इटली के फैशन ब्रांड प्रादा ने मिलान में एक शो में भारतीय कारागरों को क्रेडिट दिए बिना ही डिजाइन पेश कर दिए. जिसके बाद इसको लेकर बहस छिड़ गई. यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब प्रादा ने मिलान में पुरुषों के स्प्रिंग कलेक्शन में कोल्हापुरी डिजाइन के फुटवियर पेश किए और इन्हें अपने नाम से बेचना शुरू किया. यही नहीं इसमें भारतीय मूल, कारीगरों या सांस्कृतिक महत्व को भी स्वीकार नहीं किया गया . इटली की कंपनी ने न सिर्फ कोल्हापुरी फुटवियर्स के डिजाइनों को चुराया बल्कि उन्हें अपने नाम से बेचा भी.

भारत के अंदर इसकी कीमत तकरीबन 300-500 रुपये है, जबकि प्रादा की तरफ से इसकी कीमत 1,20,000 रुपये रखी गई है. धनंजय महादिक ने दावा किया, प्रादा ने कारीगर अधिनियम और जीआई मानदंडों का उल्लंघन किया है. इटली के इस फैशन ब्रांड ने बिना कोइ क्रेडिट दिए प्रदर्शनी में चप्पलों के डिजाइन लगाए. 2019 में सरकार से कोल्हापुरी चप्पलों को जीआई टैग मिला था. महादिक ने इसे जीआई मानदंडों का उल्लंघन बताया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय लेवल पर इस मुद्दे को उठाने की भी मांग की है.

कोल्हापुरी चप्पलों का लंबा इतिहास

कोल्हापुरी चप्पलों का एक लंबा इतिहास है, ये 100 प्रतिशत हाथों से बनाई जाती है. इनकी जड़ें 12वीं सदी में हैं. इन्हें मोची समुदाय हाथ से बनाता है. कोल्हापुरी चप्पल भारतीय हस्तशिल्प और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे उसकी अनूठी डिजाइन और पारंपरिक कलाकारी के लिए जाना जाता है.

किसी विदेशी कंपनी द्वारा उसकी डिजाइन चोरी करके उसे अपने नाम से महंगे दामों पर बेचना न केवल बौद्धिक संपदा का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय कारीगरों और उनके व्यवसाय के लिए भी बड़ा नुकसान है. भाजपा सांसद धनंजय महादिक के बेटे कृष्णराज महादिक ने सीएम देवेन्द्र फडणवीस को समुदाय के नेताओं के साथ जाकर लेटर सौंपा.

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