इटावा: पूठन सकरौली क्षेत्र के सोखा गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ महज डेढ़ साल के एक बच्चे को गेहूं के ढेर (कुठले) के नीचे छिपी एक नागिन ने डस लिया। यह घटना परिवार और पूरे गांव के लिए सदमे का कारण बन गई थी, लेकिन स्नेक बाइट हेल्पलाइन की त्वरित प्रतिक्रिया और सर्पमित्र डॉ. आशीष त्रिपाठी की टीम की मुस्तैदी ने समय रहते बच्चे की जान बचा ली, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई.
यह वाकया तब हुआ जब संदीप राजपूत का नन्हा पुत्र, अयांश, शाम के समय अपने घर में बेफिक्र होकर खेल रहा था। खेलते-खेलते वह शायद गेहूं के उस ढेर के करीब चला गया, जहाँ एक नागिन छुपी हुई थी। अचानक नागिन ने उसे डस लिया, और मासूम अयांश की चीख ने पूरे घर में हड़कंप मचा दिया। परिवार के सदस्य तुरंत बच्चे के पास पहुंचे और स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए बिना समय गंवाए कार्रवाई करने का फैसला किया.
ऐसी आपात स्थिति में अक्सर लोग घबरा जाते हैं और सही निर्णय नहीं ले पाते, लेकिन अयांश के परिवार ने सूझबूझ का परिचय दिया. उन्होंने तत्काल स्नेक बाइट हेल्पलाइन 7017204213 पर संपर्क किया। यह हेल्पलाइन, जो ऐसे मामलों में जीवनरक्षक साबित हो रही है, ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. संस्था ओशन के महासचिव और प्रसिद्ध सर्पमित्र डॉ. आशीष त्रिपाठी अपनी विशेषज्ञ टीम के साथ तुरंत सोखा गांव के लिए रवाना हो गए.
टीम के गांव पहुंचते ही, बच्चे को बिना किसी देरी के पहले स्थानीय जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां प्रारंभिक उपचार के बाद, उसे एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उसे तुरंत एंटीवेनम दिया गया. समय पर एंटीवेनम मिलने और डॉक्टरों द्वारा प्रदान किए गए उचित और गहन चिकित्सा उपचार के परिणामस्वरूप, नन्हे अयांश की जिंदगी को बचाया जा सका। यह घटना फिर से इस बात पर जोर देती है कि सांप के काटने के मामलों में त्वरित चिकित्सा सहायता कितनी महत्वपूर्ण होती है.
डॉ. त्रिपाठी ने केवल बच्चे की जान बचाने में मदद नहीं की, बल्कि उन्होंने उस नागिन का भी सुरक्षित रेस्क्यू किया जिसने अयांश को डसा था. नागिन को सावधानीपूर्वक पकड़ा गया, जिससे गांव के लोगों के मन में फैला डर और दहशत भी दूर हुई. बाद में, वन विभाग के उचित निर्देशन में, नागिन को उसके प्राकृतिक आवास, यानी एक सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया. यह पूरी घटना स्नेक बाइट हेल्पलाइन की उपयोगिता और ऐसे सेवाभाव वाले संगठनों के महत्व को रेखांकित करती है, जिनकी बदौलत समय पर उपचार मिलने से एक मासूम की जान बच सकी.