भारत की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने श्रीलंका के कोलंबो डॉकयार्ड पीसीएल (CDPLC) में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है. करीब 52.96 मिलियन डॉलर की इस डील के बाद मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड कोलंबो पोर्ट में रणनीतिक पकड़ बनाएगा. यह मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का पहला अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण है, जिससे वह घरेलू शिपबिल्डर से एक क्षेत्रीय समुद्री ताकत बन जाएगा.
हिंद महासागर भारत के लिए बेहद अहम समुद्री मार्ग है. मगर, यहां चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय रही है. चीन श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देशों में बंदरगाह और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाकर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक हितों को चुनौती मिलती रही है. श्रीलंका में हम्बनटोटा पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ी रणनीतिक चुनौती हैं.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
चीन के ऐसे प्रोजेक्ट्स से भारत की समुद्री सुरक्षा, व्यापार मार्गों और प्रभाव क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है. ऐसे में कोलंबो डॉकयार्ड में भारत की MDL का निवेश चीन की इसी चुनौती का जवाब माना जा रहा है. इससे न सिर्फ श्रीलंका में भारत की मौजूदगी मजबूत होगी, बल्कि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को भी नया बाजार मिलेगा. यह कदम भारत के मेरिटाइम अमृत काल विजन 2047 के तहत समुद्री क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रभाव बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
भारत ने दे दिया साफ संकेत
इस डील से भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह हिंद महासागर में किसी भी बाहरी दबाव को संतुलित करने के लिए अब और मजबूत तरीके से आगे बढ़ रहा है. बात करें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड की तो ये स्वदेशी क्षमता पर आधारित सबसे बड़े युद्धपोत और पनडुब्बी निर्माणकर्ता है.
ये डिफेंस और कमर्शियल दोनों सेक्टर में जहाज और प्लैटफॉर्म तैयार करता है. नेवी के लिए डिस्ट्रॉयर, कोरवेट, फ्रिगेट, मिसाइल बोट्स बनाता है. साथ ही परंपरागत और स्टील्थ पनडुब्बियों का निर्माण करता है. इसके साथ ही टैंकर, कार्गो और पैसेंजर जहाज, टग बोट्स, ड्रेज़र्स, फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट भी बनाता है.