बांग्लादेश की राजधानी ढाका के खिलखेत में एक दुर्गा मंदिर के गिराए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मंदिर गिराए जाने को लेकर वहां के अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया और भारत ने भी इस पर आपत्ति जताई है. भारत की आपत्ति के बाद अब दुर्गा मंदिर गिराए जाने को लेकर बांग्लादेश की सफाई सामने आई है. बांग्लादेश का कहना है कि मंदिर रेलवे की जमीन पर बिना किसी इजाजत के बनाया गया था.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पिछले साल दुर्गा पूजा के दौरान स्थानीय हिंदू समुदाय ने बिना अनुमति के रेलवे की जमीन पर अस्थायी पूजा मंडप बनाया था. उस दौरान रेलवे ने दुर्गा पूजा के लिए मंडप बनाने की इजाजत तो दे दी थी लेकिन समझौते के तहत समारोह के बाद मंडप को हटाया जाना था. लेकिन आयोजकों ने समझौते का उल्लंघन किया और पूजा खत्म होने के बाद भी मंडप को नहीं हटाया गया.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, अक्टूबर 2024 में पूजा समाप्त होने के बाद, आयोजकों ने आपसी समझौते का उल्लंघन करते हुए अस्थायी मंडप को हटाने से इनकार कर दिया. इसके बजाय, उन्होंने वहां महाकाली की मूर्ति की स्थापना कर दी.’
मंत्रालय का कहना है कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद भी आयोजकों ने मंडप को स्थायी बना दिया और रेलवे के साथ हुए समझौते के खिलाफ गए. बयान में यह भी बताया गया कि रेलवे ने स्थानीय समुदाय के साथ विचार-विमर्श किया और एक नॉटिफिकेशन जारी कर सभी संबंधित लोगों से रेल पटरियों के आसपास से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा.
दुकानदारों, राजनीतिक दलों के ऑफिस समेत सभी अनाधिकृत प्रतिष्ठानों को हटाने का आदेश दिया गया.
मंत्रालय ने अपनी सफाई में यह भी कहा कि दुर्गा मंदिर की मूर्ति को उचित श्रद्धा के साथ स्थानीय हिंदुओं के साथ मिलकर पास की बालू नदी में विसर्जित कर दिया गया. सरकार ने कहा कि सरकारी जमीन को फिर से हासिल करने के लिए अनाधिकृत संरचनाओं को हटाना एक नियमित और वैध प्रशासनिक कार्रवाई है.
दुर्गा मंदिर तोड़े जाने पर विदेश मंत्रालय ने की थी आलोचना
गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने मंदिर तोड़े जाने को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार कट्टरपंथी तत्वों का पक्ष ले रही है.
साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रiणधीर जायसवाल ने कहा था, ‘हम समझते हैं कि कट्टरपंथी खिलखेत में दुर्गा मंदिर को तोड़ने के लिए बेताब थे. अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा प्रदान करने के बजाए इसे ऐसा दिखाया कि मंदिर अवैध तरीके से बना था और आज मंदिर को ध्वस्त करने की इजाजत दे दी. इस दौरान मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया. बांग्लादेश में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं जिससे हम निराश हैं.’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए कहा, ‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का यह कर्तव्य है कि वो हिंदुओं, उनकी संपत्ति और उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा करें.’