“भाजपा सत्ता में आई तो हटाएगी नीतीश को”: प्रशांत किशोर का दावा, तेजस्वी पर भी किया तीखा हमला

पटना: बिहार की राजनीति में चुनावी हलचल के बीच जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि अगर आगामी चुनावों में एनडीए सत्ता में आती है, तो भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटा देगी और अपने किसी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपेगी।आजतक से खास बातचीत में प्रशांत किशोर ने बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, चुनाव आयोग की गतिविधियों, तेजस्वी यादव की योजनाओं और नीतीश कुमार की भूमिका पर खुलकर बात की।

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प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब न तो सरकार चला रहे हैं, न ही पार्टी और न ही एनडीए गठबंधन।
उन्होंने कहा – “नीतीश कुमार की मानसिक और शारीरिक स्थिति अब मुख्यमंत्री बनने लायक नहीं है। वे मंच पर बैठे हुए प्रधानमंत्री का नाम भूल जाते हैं, ऐसे में उनसे बिहार जैसे जटिल राज्य की बागडोर संभालने की उम्मीद नहीं की जा सकती।”उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की मजबूरी है कि वह अभी नीतीश के साथ चल रही है, क्योंकि उसके पास अकेले चुनाव लड़ने की ताकत नहीं है। लेकिन अगर भाजपा सत्ता में आई, तो नीतीश कुमार को तुरंत हटा दिया जाएगा।

प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव द्वारा छात्र संसद में ‘कलम बांटने’ की पहल को सिर्फ एक प्रतीकात्मक कदम बताया और उस पर सवाल खड़े किए।उनके अनुसार, “तेजस्वी तीन साल डिप्टी सीएम रहे, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ। RJD के 15 साल के शासन (1990-2005) में बिहार की शिक्षा व्यवस्था सबसे अधिक प्रभावित हुई। अब चुनाव के समय ‘कलम’ बांटने से कोई बदलाव नहीं आएगा।”प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि “अगर आप बांटना ही चाहते हैं तो ज्ञान, शिक्षा और रोजगार बांटिए। कलम, मिठाई या साड़ी बांटने से वोट खरीदना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।”तेजस्वी यादव द्वारा ‘जंगलराज’ शब्द के इस्तेमाल पर किशोर ने कहा कि यह कोई राजनीतिक आरोप नहीं, बल्कि हाईकोर्ट के जजों द्वारा कही गई सच्चाई है।
उन्होंने कहा – “90 के दशक में हत्या, अपहरण और रंगदारी का बोलबाला था। व्यापारी पटना छोड़कर जा रहे थे। अगर तेजस्वी उस दौर को ‘सुशासन’ बताते हैं, तो जनता को समझ जाना चाहिए कि वे बिहार को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।”

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे इंटेंसिव वोटर रिविजन अभियान पर भी प्रशांत किशोर ने सवाल उठाए।
उन्होंने कहा – “2003 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनाव से तीन महीने पहले मतदाता सूची में विशेष संशोधन किया जा रहा है। इससे यह आशंका उठती है कि क्या मतदाता सूची में हेरफेर की जा रही है?”

उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि वह प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए और सभी राजनीतिक दलों व मतदाताओं को भरोसा दिलाए कि यह किसी को जोड़ने या हटाने का खेल नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास है।प्रशांत किशोर की यह बातचीत साफ संकेत देती है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति बेहद गर्म और जटिल होने वाली है।
नीतीश कुमार की भूमिका, भाजपा की रणनीति, तेजस्वी यादव की तैयारी और चुनाव आयोग की पारदर्शिता – ये सभी फैक्टर मिलकर तय करेंगे कि 2025 का बिहार किसके हाथ में जाएगा।

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