दमोह : दो साल पहले हुई थी 10वीं के छात्र की हत्या, डेढ़ माह बाद मिला कंकाल; जांच अधिकारी को अमेरिकी किताब से मिला क्लू, तब मैच हो पाया डीएनए
आईवीएफ टेस्ट ट्यूब तकनीक से 16 साल पहले हुआ था जयराज का जन्म
दमोह जिले में एक ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को पूरे 17 महीने लग गए। ये केस बेहद उलझा हुआ था.हर जतन करने के बाद भी मर्डर मिस्ट्री का खुलासा नहीं हो पा रहा था.इस मामले में देरी होने से पुलिस की काफी आलोचना भी हो रही थी लेकिन इसका राज एक पुलिस अफसर के अमेरिकी किताब पढ़ने से खुला, उस किताब ने पुलिस को जांच में दिशा दी.
कहानी शुरू होती है 29 मार्च 2023 से, जब सेंट जॉस स्कूल का 10वीं का छात्र जयराज (16) अचानक लापता हो गया। पिता लक्ष्मण पटेल ने बेटे जयराज की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.बेटे की तलाश में उन्होंने हर दरवाजा खटखटाया, यहां तक कि 5 लाख का इनाम देने का भी ऐलान किया.
करीब डेढ़ महीने बाद, 14 मई 2023 को एक खेत में एक कंकाल और कुछ फटे कपड़े मिले.ये वही कपड़े थे जिनमें जयराज को आखिरी बार देखा गया था-पैंट, टी-शर्ट और बेल्ट। माता-पिता ने कपड़ों के आधार पर कंकाल की पहचान कर ली, लेकिन पुलिस के लिए कपड़े पर्याप्त नहीं थे, उसे पुख्ता सबूत चाहिए थे.
पुलिस ने सागर की फॉरेंसिक लैब में कंकाल का डीएनए टेस्ट करवाया, लेकिन माता-पिता से डीएनए मैच नहीं हुआ.पुलिस ने एक बार फिर सैंपल लेकर चंडीगढ़ लैब भिजवाए.मगर वहां से भी वही डीएनए मैच नहीं होने की रिपोर्ट आई। दरअसल जयराज का जन्म आईवीएफ यानी टेस्ट ट्यूब तकनीक से हुआ था.
प्रॉपर्टी का लालच- चचेरा भाई ही निकला कातिल
लक्ष्मण ने बेटे जयराज के अपहरण और हत्या के लिए अपने सौतेले भाई दशरथ पटेल के बेटे मानवेंद्र पर शक जाहिर किया था.लक्ष्मण पटेल को शंका थी कि मानवेंद्र उनकी संपत्ति हड़पना चाहता था, क्योंकि उसके पास 100 एकड़ जमीन और करोड़ों की प्रॉपर्टी थी.
पुलिस ने जब मानवेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने पहले तो पुलिस को काफी गुमराह किया लेकिन वह अपनी ही बातों में इस तरह उलझ गया कि पोल खुल गई. उसने बताया कि 29 मार्च 2023 को जयराज को बाइक सिखाने के बहाने खेत में ले गया.वहां गला घोंटकर हत्या कर दी। शव को खेत में ही दबा दिया था। 25 अगस्त 2024 को कोर्ट ने मानवेंद्र को जेल भेज दिया.
अमेरिकी किताब से मिला ब्रेक थ्रू… कहानी ने उस समय मोड़ लिया, जब केस के जांच अधिकारी तत्कालीन एएसपी संदीप मिश्रा को एक अमेरिकी लेखक की किताब हाथ लगी, जो फॉरेंसिक केसों की स्टडी पर आधारित थी। उसमें एक केस का जिक्र था, जिसमें आईवीएफ से जन्मे बच्चों की डीएनए की जांच उनके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं पर मिले लार, पसीने या बालों से हो सकती है.
इसके बाद पुलिस ने तुरंत जयराज के खिलौने, टोपी, स्कूल का आईकार्ड, सीटी, ग्लव्स व अन्य वस्तुएं इकट्ठा कीं और उन्हें चंडीगढ़ की फॉरेंसिक लैब भेजा। टेस्ट रिपोर्ट में साफ हो गया कि कंकाल जयराज का ही था.
अंतिम संस्कार के लिए पिता ने कोर्ट से लगाई थी गुहार : इधर, थकहार कर लक्ष्मण पटेल ने हाईकोर्ट में पुलिस को आदेश दिया। मर्डर के 13 महीने बाद 12 मई 2024 को जयराज का अंतिम संस्कार किया गया.