पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RML) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के गया जी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बिहार और यूपी जैसे जनसंख्या वाले राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है और इसे ठीक करने के लिए परिसीमन यानी सीटों का फिर से विभाजन जरूरी है.
उन्होंने दक्षिणी राज्यों की जनसंख्या वृद्धि दर धीमी होने वाले तर्क को भ्रामक बताया. कुशवाहा ने कहा कि असल में 1881 से 1947 तक दक्षिण में विकास दर अधिक थी क्योंकि उत्तर भारत अकाल और महामारी से अधिक प्रभावित रहा. कुशवाहा ने कहा कि अगर हम आंकड़ों की बात करें तो दक्षिणी राज्यों में लगभग 21 लाख आबादी पर 1 लोकसभा सीट होती है, जबकि बिहार और यूपी में यह संख्या लगभग 31 लाख प्रति सीट है, जो बाबा साहेब आंबेडकर के ‘एक वोट, एक व्यक्ति’ के सिद्धांत का उल्लंघन है.