रामलला झूलेंगे 10 करोड़ के सोने के झूले पर, अयोध्या में झूलनोत्सव होगा स्वर्णिम

अयोध्या: सावन की हरियाली में इस बार श्रद्धा की सुनहरी छांव में रामनगरी अयोध्या एक और ऐतिहासिक झलक से रोशन होने जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान रामलला इस बार 10 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित स्वर्णजड़ित झूले पर झूलते नजर आएंगे। जी हां, सावन के पावन मास में होने वाले झूलन उत्सव की परंपरा इस बार अयोध्या में अपने शिखर पर पहुंचने जा रही है।

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राम मंदिर ट्रस्ट की देखरेख में मुंबई के दक्ष कारीगर इस स्वर्ण झूले को तैयार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये झूला न केवल सोने से बना है, बल्कि उस पर हीरे, माणिक और पन्ना जैसे रत्नों की भी जड़ाई की जा रही है। जिससे इसकी आभा और भी दिव्य हो जाएगी। दो झूले बनाए जा रहे हैं, एक रामलला की उत्सव मूर्ति के लिए और दूसरा सीताराम की उत्सव मूर्ति के लिए।

प्रत्येक झूले में लगभग पांच किलो शुद्ध सोने का उपयोग किया जा रहा है और एक झूले की अनुमानित लागत करीब पांच करोड़ रुपये बताई जा रही है। ये दोनों झूले 26 जुलाई से पहले अयोध्या पहुंच जाएंगे, ताकि 29 जुलाई यानी सावन शुक्ल तृतीया से झूलन उत्सव का आरंभ भव्य स्वरूप में हो सके।

राम मंदिर के भूतल पर विराजमान रामलला और प्रथम तल पर स्थापित सीताराम प्रतिमाएं इन झूलों पर बैठाकर भक्तों को झूला झुलाते हुए दर्शन देंगी। हर शाम, भजन-कीर्तन और आरती की गूंज के बीच झूलते रामलला के दर्शन भक्तों को अलौकिक अनुभूति प्रदान करेंगे।

सदियों से चली आ रही झूलन उत्सव की परंपरा को इस बार श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भव्यता की नई ऊंचाई पर ले जाया जा रहा है। इस आयोजन की खास बात यह भी है कि पहली बार इस आयोजन का लाइव प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाएगा, जिससे देश-विदेश में बैठे करोड़ों राम भक्त इस ऐतिहासिक आयोजन का सजीव दर्शन कर सकेंगे।

सावन पूर्णिमा यानी 9 अगस्त तक चलने वाले इस झूलन उत्सव में लाखों श्रद्धालुओं के अयोध्या आने की संभावना है। रामनगरी के हजारों मंदिरों में भी इस दौरान झूले सजेंगे, पर श्रीराम जन्मभूमि के स्वर्ण झूले का आकर्षण सबसे अलग होगा।

राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, इस आयोजन का उद्देश्य केवल परंपरा को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि भक्ति को सौंदर्य और संस्कृति से जोड़ते हुए एक ऐतिहासिक आयाम देना है। झूलन उत्सव के इस स्वर्णिम अध्याय से न सिर्फ राम भक्तों की श्रद्धा और बढ़ेगी, बल्कि अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को वैश्विक मंच पर नया आयाम मिलेगा।

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