विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमला कश्मीर में पर्यटन को बर्बाद करने के मकसद से किया गया एक इकोनॉमिक वॉरफेयर था. उन्होंने कहा कि भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह न्यूक्लियर ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं है और पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान प्रयोजित आतंकी हमले हुए हैं और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद देश में यह भावना है कि अब बहुत हो गया. उनका बयान न्यूजवीक के सीईओ देव प्रगाद के साथ मैनहट्टन में 9/11 स्मारक के पास वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थित पब्लिकेशन के मुख्यालय में आयोजित एक बातचीत के दौरान आया.
आतंकियों को सजा देकर रहेंगे
जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला एक आर्थिक युद्ध था. इसका मकसद कश्मीर में पर्यटन को तबाह करना था, जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. इसका मकसद धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था क्योंकि लोगों को मारने से पहले उनके धर्म की पहचान की गई थी.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने तय किया कि हम आतंकियों को बिना किसी सजा के काम करने नहीं दे सकते. यह विचार कि वे सीमा के उस पार हैं और इसलिए बच जाएंगे, मुझे लगता है, यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे चुनौती देने की जरूरत है और हमने यही किया.’ जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं और मंगलवार को क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वॉशिंगटन डीसी जाएंगे.
PAK में आतंकियों के मुख्यालय
जयशंकर ने अपनी यात्रा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म’ टाइटल से एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करके की, जिसे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की ओर से आयोजित किया गया था. उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ हमले करने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी सीक्रेट तौर पर काम नहीं करते हैं और ये ऐसे आतंकवादी संगठन हैं जिनके कॉर्पोरेट मुख्यालय पाकिस्तान की घनी आबादी वाले शहरों में स्थित हैं. उन्होंने कहा, ‘हर कोई जानता है कि संगठन ए और संगठन बी का मुख्यालय कहां है और ये वे इमारतें, मुख्यालय हैं जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में तबाह कर दिया.’
ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया था, जो पहलगाम हमले का बदला था जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे और जिसके लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक फ्रंट द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने जिम्मेदारी ली थी.
न्यूक्लियर ब्लैकमेल से डरने वाले नहीं
उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि आतंकवादियों को किसी भी तरह से बख्शा नहीं जाएगा, हम अब उनके साथ प्रॉक्सी के तौर पर बर्ताव नहीं करेंगे और उस सरकार को नहीं छोड़ेंगे जो उन्हें समर्थन और फंडिंग करती है. साथ ही कई तरीकों से उन्हें प्रेरित करती है. न्यूक्लियर ब्लैकमेल हमें जवाब देने से नहीं रोक पाएगा.’
जयशंकर ने कहा कि हम यह भी बहुत समय से सुनते आ रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु देश हैं और इसलिए दूसरा व्यक्ति आएगा और भयानक हमले करेगा, लेकिन आपको कुछ नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुनिया चिंतित हो जाती है.
जयशंकर ने दर्शकों की तालियों के बीच कहा, ‘अब हम उसके झांसे में नहीं आने वाले हैं. अगर वह आकर कुछ करने जा रहा है, तो हम वहां जाएंगे और उन लोगों पर भी प्रहार करेंगे जिन्होंने ऐसा किया है. इसलिए न्यूक्लियर ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकना चाहिए, आतंकवादियों को कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए, उन्हें प्रॉक्सी कहने की कोई छूट नहीं होनी चाहिए और हम अपने लोगों की रक्षा के लिए वही करेंगे जो हमें करना है.’
आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा
जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद वास्तव में सभी के लिए खतरा है, किसी भी देश को इसे अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि आखिर में यह सभी को नुकसान पहुंचाता है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस होना चाहिए, ऐसे कोई हालात, कोई बहाना, कोई औचित्य नहीं होना चाहिए जिसके तहत कोई देश आतंकवादी हरकतों की इजाजत दे, उनका समर्थन करे, उन्हें फंडिंग करे.
उन्होंने कहा कि भारत कई दशकों से पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद से निपट रहा है, लेकिन वास्तव में इसकी शुरुआत 1947 में देश की आजादी के समय से ही हो गई थी, जब कुछ ही महीनों के भीतर आतंकवादियों को कश्मीर में भेजा गया और उन्हें प्रॉक्सी औरकबायली आक्रमणकारी बताया गया था.
उन्होंने 2001 के संसद और 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कहा, ‘और फिर जल्द ही पाकिस्तानी सेना ने भी हमला कर दिया. इसलिए हमने पिछले चार दशकों से आतंकवाद से बहुत गहनता से लड़ाई लड़ी है और हमारे सामने कुछ भयावह मामले आए हैं.’
सीजफायर में US का क्या रोल?
जयशंकर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे के बारे में पूछा गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को रोकने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया और क्या इससे दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच व्यापार वार्ता प्रभावित हुई है? जयशंकर ने कहा, ‘नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता. मुझे लगता है कि व्यापार जगत के लोग वही कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए, यानी संख्याओं, लाइनों और उत्पादों के साथ बातचीत करना और अपने ट्रेड-ऑफ करना. मुझे लगता है कि वे बहुत पेशेवर हैं और इस बारे में बहुत फोकस हैं.’ विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में इस बात पर राष्ट्रीय सहमति है कि पाकिस्तान के साथ हमारा व्यवहार द्विपक्षीय है.
उन्होंने कहा, ‘इस विशेष मामले में, मैं आपको बता सकता हूं कि मैं उस कमरे में था जब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी और कहा था कि अगर हमने कुछ बातें स्वीकार नहीं कीं तो पाकिस्तान, भारत पर बहुत बड़े हमले करेगा.
जयशंकर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की धमकियों पर ध्यान नहीं दिया, इसके विपरीत, उन्होंने संकेत दिया कि हमारी ओर से जवाब दिया जाएगा. यह पिछली रात की बात है और पाकिस्तानियों ने उस रात हम पर बड़े पैमाने पर हमला किया, हमने उसके बाद बहुत तेज़ी से जवाब दिया.’
उन्होंने कहा, ‘अगली सुबह विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मुझे फोन किया और कहा कि पाकिस्तानी बातचीत के लिए तैयार हैं. इसलिए मैं आपको सिर्फ अपने व्यक्तिगत अनुभव से बता सकता हूं कि क्या हुआ, बाकी मैं आप पर छोड़ता हूं.’ विदेश मंत्री जयशंकर अपने चार दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं और वह यहां क्वॉड देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे.