US-INDIA Trade Deal में कृषि, क‍िसान और ‘आस्था’ की अग्निपरीक्षा, आख‍िर भारत से क्या चाहता है अमेर‍िका?

अमेरिका और भारत के बीच संभावित ट्रेड डील को लेकर कृषि और डेयरी सेक्टर में खलबली मची है. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार उसके लिए खोले, ताकि अमेरिकी एग्री प्रोडक्ट्स को भारतीय बाजार में प्रवेश मिल सके. इसके लिए अमेरिका भारत पर दबाव भी बना रहा है. लेकिन मोदी सरकार फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में कॉटन को छोड़कर किसी भी जीएम (जेनेट‍िकली मॉडिफाइ़़ड) फसल को उगाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में जीएम मक्का और सोयाबीन को खाने के लिए आयात करने की इजाजत देना भी असंभव माना जा रहा है.

Advertisement

इसके अलावा अमेरिका में गाय-भैंस जैसे पशुओं को मांसाहारी आहार दिया जाता है, जो भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से टकराता है. ये दोनों मुद्दे बेहद संवेदनशील हैं और भारतीय किसानों की आस्था से भी जुड़े हैं. ट्रेड डील का सबसे विवादित बिंदु कृषि, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के आयात और उन पर लगने वाले टैक्स को लेकर है.

भारत अमेरिका से आने वाले कुछ एग्री प्रोडक्ट्स पर 100 फीसदी तक ड्यूटी वसूलता है. अमेरिका चाहता है कि भारत इस टैक्स को कम करे या खत्म कर दे. अगर ऐसा होता है तो भारतीय किसानों को नुकसान होगा, क्योंकि उन्हें अपनी उपज की सही कीमत नहीं मिल पाएगी.

भारत पर WTO का दबाव

भारत पहले से ही WTO की भेदभावपूर्ण नीतियों से परेशान है, जहां अमेरिका जैसे देश प्रति किसान हजारों डॉलर की सब्सिडी देते हैं, भारत में यह आंकड़ा महज 282 डॉलर रहा है. फिर भी WTO भारत पर दबाव डालता है कि वह सब्सिडी कम करे और किसानों को MSP न दे. WTO की नीतियों में प्रति किसान आधार पर कोई विचार नहीं किया जाता, जिससे भारत जैसे देशों के किसानों को नुकसान होता है.

एग्री संगठनों का मानना है कि अमेरिका भारत में जीएम फसलें डंप करके यहां के किसानों और खेती को बर्बाद करना चाहता है. GM बीजों के आयात से स्वदेशी बीजों पर खतरा मंडराने लगेगा. साथ ही, भारत का गरीब किसान अमेरिकी सब्सिडी वाले कॉरपोरेट किसानों से मुकाबला नहीं कर पाएगा. इसलिए सरकार का सतर्क रहना और किसानों के हितों की रक्षा करना बेहद जरूरी है. ट्रंप के दबाव में क्या खतरे छिपे हैं? अब भारत क्या सकता है? देश को सतर्क क्यों रहना चाहिए? सरकार के झुकने पर किसान कैसे बर्बाद हो सकते हैं?

 

Advertisements