उत्तराखंड से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मामले की सुनवाई से एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा कुशवाहा ने इनकार कर दिया है. नेहा कुशवाहा द्वारा खुद को इस मामले से अलग करने बाद अब तक इस केस की सुनवाई से इनकार करने वाले जजों की संख्या 14 हो गई है.
उत्तराखंड की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ब्लोअर आईएफएफ अफसर संजीव चतुर्वेदी ने कैट के जज मनीष गर्ग के खिलाफ आपराधिक मानहानि केस की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के जज मनीष गर्ग पर 2023 में ओपन कोर्ट की कार्यवाही के दौरान उनके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया है.
मजिस्ट्रेट ने दिया ये हवाला
दिल्ली स्थित कैट की प्रिंसिपल बेंच के सदस्य (न्यायिक) डी. एस. माहरा ने संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए की गई अवमानना याचिका की कार्यवाही का हवाला देते हुए, कुशवाहा ने माहरा से फैमिली रिलेशन होने की ओर इशारा किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में उनके लिए वर्तमान मामले की सुनवाई करना कानूनी रुप से ठीक नहीं होगा. उन्होंने इस मामले को अपनी कोर्ट से ट्रांसफर करने का भी अनुरोध किया है.
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने खुद को किया अलग
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब किसी जज ने इस मामले की सुनवाई से इनकार किया हो. अब तक इस मामले की सुनवाई करने से इनकार करने वाले सुप्रीम कोर्ट के दो जज, नैनीताल हाईकोर्ट के दो जज, कैट चेयरपर्सन, शिमला की एक निचली अदालत के जज और कैट की दिल्ली और इलाहाबाद बेंच के सात जज खुद को संजीव चतुर्वेदी के मामले से अलग कर चुके हैं.संजय चतुर्वेदी ने कहा कि ये एक अनोखा रिकॉर्ड है जिसमें 14 जजों ने एक व्यक्ति के मामलेकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
जानकारी के मुताबिक संजय चतुर्वेदी एक व्हिसल ब्लोअर अधिकारी के रुप में जाने जाते हैं. इन्होंने हरियाणा वन घोटाला मामले का पर्दाफाश किया था और नई दिल्ली एम्स में चीफ विजिलेंस ऑफिसर के रुप में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए कई घोटालों को खुलासा किया था.