मेकाहारा में स्टाफ की कमी से हंगामा: वार्ड बॉय न मिलने पर अटेंडर-डॉक्टर आमने-सामने, 500 पद खाली, जूडा पर बढ़ा दबाव..

रायपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल में रविवार रात नाइट ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर्स और मरीज के साथ पहुंचे अटैंडर्स के बीच विवाद हो गया था। दोनों पक्षों ने पूरे मामले की थाने में शिकायत दी थी। मरीज के साथ पहुंचे लोगों (अटैंडर्स) ने डॉक्टरों पर मारपीट का आरोप लगाया था।

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वहीं डॉक्टरों ने भी अटैंडर्स पर महिला स्टाफ के साथ बदसलूकी और उपचार के दौरान बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया था। पड़ताल में सामने आया है कि पूरा विवाद समय पर वार्ड बॉय नहीं मिलने से उपजा था। दरअसल, मरीज को डॉक्टर्स एक्स-रे और यूएसजी जैसी जांच के लिए भेजना चाहते था। लेकिन अस्पताल में वार्ड बॉय और अटेंडर जैसे 166 पद खाली पड़े हैं।

यानी अस्पताल में स्टाफ की कमी है। डॉक्टर्स वार्ड बाय के आने का इंतजार कर रहे थे। और लेटलतीफी होता देख मरीज के साथ पहुंचे दो अटैंडर्स एग्रेसिव हो गए। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों अटैंडर्स को कई दफा समझाइश देने के बावजूद वो शांत नहीं हुए। दोनों गाली-गलौज पर उतर आए। इसके बाद महिला स्टाफ के साथ दोनों ने अभद्रता की और फिर विवाद हो गया।

पूरे मामले को लेकर जूडा प्रोटेस्ट ने प्रोटेस्ट किया था। जिसके बाद दूसरे पक्ष ने माफी मांग ली और मामला शांत हो गया। लेकिन हाल की घटना केवल बानगी है। मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे इस हॉस्पिटल में कई दफा इसी कारण के चलते विवाद उपजा है।

हॉस्पिटल को 500 से ज्यादा स्टाफ की जरूरत है। ताकि डॉक्टर कंफर्टेबल होकर इलाज कर सके और मरीज या उनके परिजन इमरजेंसी के दौरान पैनिक न हो। लेकिन सरकार भर्तियां नहीं निकाल रही।

वार्ड बॉय मिलता तो नहीं होता विवाद

डॉक्टर्स और अटैंडर्स बीच हुए विवाद की का एक तीसरा और बेहद महत्वपूर्ण पक्ष और है। डॉक्टरों ने भी बताया और दोनों अटैंडर्स ने भी कि विवाद वाली रात हॉस्पिटल में वार्ड बॉय की कमी थी। इसलिए लंबी बहस का दौर चला और विवाद हुआ। समय पर जांच के लिए वार्ड बॉय मिल जाते तो ये विवाद इतना नहीं बढ़ता।

1135 बेड पर 720 बेड के लिए ही कर्मचारी

मेकाहारा में इस समय मरीजों के लिए 1135 बेड हैं। लेकिन अस्पताल में कर्मचारी लगभग 700 बेड के हिसाब से ही हैं। यही वजह है कि आए दिन मरीज, अटैंडर्स और डॉक्टरों के बीच तनाव पैदा हो जाता है। मरीजों के साथ पहुंचे अटैंडर्स वार्ड में इलाज उनका कराने के लिए कभी स्ट्रेचर तो कभी व्हीलचेयर लेकर भटकते रहते हैं।

सरकार खाली पदों पर नहीं निकाल रही भर्ती

स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती को लेकर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन कई बार शासन को लेटर लिख चुका है। लेकिन रिक्त पदों पर भर्ती नहीं निकाली गई है। अस्पताल में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के 844 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 296 नियमित कर्मचारी हैं। 428 पद अभी रिक्त हैं

वार्ड बॉय और अटेंडर के 166 पद खाली

इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी के 383 पद स्वीकृत हैं। इनमें 203 नियमित हैं। 14 कर्मचारी संविदा पर रखे गए हैं। बाकी 166 पद अभी भी रिक्त हैं। इनमें वार्ड बॉय और अटेंडर जैसे पद आते हैं। मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है। इससे वर्क लोड जूडा पर बढ़ रहा है।

550 से अधिक कर्मचारियों को भर्ती करने की आवश्यकता

इस समय हॉस्पिटल में 227 स्टाफ नर्स हैं। इनमें 127 नियमित और 99 संविदा पर हैं। 89 वार्ड बॉय है, इनमें 5 संविदा पर हैं। और 60 नर्सिंग सिस्टर हैं। इसके अलावा 300 को दैनिक वेतन मानदेय के हिसाब से रखा गया है।आंकड़ों पर जाएं तो इस समय मेकाहारा में 550 से अधिक पदों पर भर्ती की जरूरत है।

आधे से ज्यादा कर्मचारी तो ठेका कर्मी हैं। यानी अस्पताल में कुल नियमित स्टाफ जरूरत के मुताबिक एक चौथाई है।

अब जानिए रविवार रात की कहानी

रायपुर के अशोक नगर में रहने वाले कैलाश शर्मा और पुरुषोत्तम शर्मा ये दोनों ही रविवार रात एक मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। दोनों ने बताया मरीज सड़क हादसे में घायल हो गया था। इस दौरान ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर से उन्होंने जल्द इलाज करने की बात कही।

यहीं से बहस शुरू हुई और। एक जूनियर डॉक्टर ने कैलाश का गला दबा दिया। फिर अन्य जूनियर डॉक्टरों के साथ मिलकर दोनों की पिटाई कर दी। इस मामले का सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है, जिसपर युवकों ने सफाई दी है कि ये सीसीटीवी का आधा हिस्सा है। डॉक्टरों ने जानबूझकर पूरा हिस्सा सामने नहीं लाया है।

डॉक्टर बोले: मरीज ने भी दी गाली

विवाद वाली रात ड्यूटी पर तैनात डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि सिर्फ अटैंडर्स का ही नहीं मरीज का भी डॉक्टरों से रवैया खराब था। वो आते ही हमें गाली दे रहा था। बावजूद हमने उसका इलाज किया। उसके साथ आए लोग हमें धमकी दे रहे थे। उनका कहना था कि वो लोग हमें सैलरी देते हैं। मनमानी न करने कहा – तो हम पर चढ़ गए।

एक डॉक्टर की उंगली में आया फ्रैक्चर

पूरे विवाद के दौरान ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर कृपा की उंगली फ्रैक्चर हो गई। डॉ कृपा ने हमें बताया कि अटैंडर्स हमें बाहर आकर बात करने की धमकी दे रहा था। मैंने पेशेंट को समझाया कि उसका इलाज सही तरीके से किया जा रहा है। लेकिन वो नहीं माना। अटैंडर्स हमारी फीमेल स्टाफ की तरफ बढ़ने लगे। तब जाकर हाथापाई हुई।

फीमेल डॉक्टर बोलीं- सीनियर्स प्रोटेक्ट करने आए तो हमला किया

रात को ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर्स ने बताया दोनों अटैंडर्स से बार-बार रिक्वेस्ट की जा रही थी कि वो कैजुअल्टी वार्ड से बाहर जाकर इंतजार करें। लेकिन हमारे आस-पास की चक्कर लगा रहा था। ये स्थिति हमारे काम के लिए सही नहीं थी। हमने मना किया तो वो हम पर भी एग्रेसिव हो गए।

अस्पताल प्रबंधन ने सिक्योरिटी बढ़ाई

वार्ड बॉय की कमी और सिक्योरिटी को लेकर डॉक्टर्स ने हॉस्पिटल अधीक्षक से शिकायत की थी। जिसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन में तीन शिफ्ट दो-दो वार्ड बाय और सिक्योरिटी गार्ड्स बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। अब तक इमरजेंसी में एक शिफ्ट में 3 वार्ड बाय होते थे, लेकिन अब से 5 होंगे।

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