दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) से स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि को जोरदार झटका लगा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पतंजलि, डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भ्रामक विज्ञापन नहीं चला सकेगी. डाबर की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट भ्रामक विज्ञापन पर अंतरिम रोक लगा दिया है. पतंजलि ने अपने विज्ञापन मे दावा किया है कि आयुर्वेद और शास्त्र ग्रंथों के मुताबिक सिर्फ पतंजलि ही च्यवनप्राश बनाता है.
डाबर ने याचिका में क्या कहा?
पतंजलि के इस विज्ञापन को रोकने के लिए डाबर ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. डाबर ने अपनी याचिका में भ्रामक और अपमानजनक विज्ञापन करने के लिए पतंजलि पर दो करोड़ रुपए हर्जाना लगाने की गुहार लगाई है क्योंकि इससे डाबर की साख और जनता के डाबर के प्रति विश्वास को बट्टा लगा है. अपनी अर्जी में डाबर ने कहा कि पतंजलि के विज्ञापन में रामदेव झूठा दावा कर रहे हैं कि सिर्फ पतंजलि का ही च्यवनप्राश असली है.
इस मामले पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होनी है. कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए पतंजलि को भविष्य में इस तरह के विज्ञापन न चलाने की हिदायत दी है. यह फैसला प्रतिस्पर्धा और नैतिक विज्ञापन के क्षेत्र में एक अहम उदाहरण बन सकता है.