देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ शशिधर जगदीशन ने लीलावती ट्रस्ट की ओर से दर्ज कराई गई FIR को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सर्वोच्च अदालत उनकी याचिका पर अगले मंगलवार यानी 8 जुलाई को सुनवाई करेगा. लीलावती किर्तीलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने जगदीशन के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए 30 मई को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कराई थी.
ट्रस्ट ने आरोप लगाया था कि जगदीशन ने उनके एक पूर्व मेंबर से 2.05 करोड़ रुपए लिए, जिसका मकसद ट्रस्ट के एक मौजूदा मेंबर के पिता को परेशान करना था. हालांकि एचडीएफसी ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण बताया था. इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, जिसके कारण केस में देरी हो रही थी.
आज यानी गुरुवार को शशिधर के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस वजह से मामला अटक गया है. जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने इस मामले को 8 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
क्या है मामला?
- लीलावती ट्रस्ट ने जगदीशन और सात अन्य लोगों के खिलाफ मुंबई के बांद्रा थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. ये एफआईआर 30 मई 2025 को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई है. ट्रस्ट का कहना है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जिनमें एक डायरी शामिल है.
- इस डायरी में कथित तौर पर 14.42 करोड़ रुपए की हेराफेरी का जिक्र है, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपए जगदीशन को दिए गए. ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने आरोप लगाया है कि ये रकम उनके पिता को परेशान करने के लिए पूर्व ट्रस्टी, चेतन मेहता ने दी थी.
- ट्रस्ट ने आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय से उनकी तत्काल बर्खास्तगी और कानूनी कार्रवाई की मांग भी की है. ट्रस्ट का कहना है कि जगदीशन ने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल किया और सबूतों को दबाने की कोशिश की.
HDFC बैंक ने आरोपों को किया सिरे से खारिज
दूसरी ओर एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये सब लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार की तरफ से बैंक को बदनाम करने की साजिश है. बैंक का दावा है कि मेहता परिवार ने 1995 में लिए गए एक लोन को चुकाने में डिफॉल्ट किया था. ब्याज समेत ये रकम 31 मई 2025 तक 65.22 करोड़ रुपए हो चुकी है. इस लोन को स्प्लेंडर जेम्स नाम की कंपनी के लिए लिया गया था, जो मेहता परिवार की ही है.
बैंक के मुताबिक, 2004 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने इस लोन की वसूली के लिए सर्टिफिकेट जारी किया था, लेकिन मेहता परिवार ने इसे चुकाने की बजाय बैंक और इसके सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कानूनी शिकायतें कीं. मेहता परिवार की ये शिकायतें बार-बार खारिज हो चुकी हैं, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी. अब ये एफआईआर उनके सीईओ को निशाना बनाने और कर्ज की वसूली को रोकने की एक और कोशिश है. एचडीएफसी बैंक ने अपने बयान में कहा कि हमारे एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन को बिना वजह निशाना बनाया जा रहा है. ये आरोप पूरी तरह से झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं. हम कानूनी रास्तों से इसका जवाब देंगे और अपने सीईओ की प्रतिष्ठा की रक्षा करेंगे.