श्रावस्ती: जिले के जमुनहा ब्लॉक अंतर्गत नेपाल सीमा से लगे ककरदरी गांव की हालत आज भी बेहद दयनीय है। मुख्यालय भिनगा से लगभग 40 किलोमीटर और ब्लॉक मुख्यालय जमुनहा से 20 किलोमीटर दूर बसे इस गांव तक पहुंचने के लिए न तो कोई पक्की सड़क है और न ही कोई सुगम रास्ता। गांव में जाने के लिए लोगों को अब भी घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है।
आवागमन की सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को एंबुलेंस सेवा के लिए पांच किलोमीटर दूर लक्ष्मणपुर कोठी तक पैदल जाना पड़ता है। गांव में जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है और पहले जो खड़ंजा लगाया गया था, वह भी अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिससे लोग कीचड़ और कच्चे रास्तों से होकर आने-जाने को मजबूर हैं।
ककरदरी गांव राप्ती नदी से मात्र 150 मीटर की दूरी पर स्थित है। बाढ़ और बरसात के मौसम में नदी का पानी गांव में घुस जाता है, जिससे लोगों के घर और जीवन दोनों प्रभावित होते हैं। गांव के अधिकतर किसानों की ज़मीन राप्ती नदी के पार है, जहां पहुंचने के लिए उन्हें अब भी नाव का सहारा लेना पड़ता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। गांव में एक प्राथमिक विद्यालय तो है, लेकिन केवल एक शिक्षक होने के कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गांव में कोई एएनएम सेंटर तक मौजूद नहीं है, जिससे लोग मजबूरी में झोला छाप चिकित्सकों के भरोसे इलाज करवाने को विवश हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि शासन-प्रशासन जल्द से जल्द यहां सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवागमन की व्यवस्था दुरुस्त करे, ताकि ककरदरी भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके।