पत्नी के गैर मर्द से संबंध होने के चलते एक पति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और अपनी मौत का जिम्मेदार सास, पत्नी और साला, साली को ठहराया है. आत्महत्या से पहले युवक ने व्हाट्सएप स्टेटस पर प्रताड़ित किए जाने का जिक्र करते हुए कई लोगों के नाम भी लिखे थे. दरअसल, घटना मध्य प्रदेश जबलपुर के घमापुर थाना क्षेत्र की है जहां 32 वर्षीय मयंक शर्मा नाम के युवक ने आत्महत्या से पहले स्टेटस पर लिखा कि पत्नी साली और साले मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार हैं. फिलहाल परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक मयंक शर्मा की शादी 2017 में दीक्षा शर्मा नाम की युवती से हुई थी. शादी के बाद कुछ दिन सब ठीक रहा लेकिन बाद में दीक्षा का संजय साहू नाम के युवक से प्रेम संबंध हो गया. जब इस बात की भनक मयंक को लगी तो उसने इसका विरोध किया तो नाराज पत्नी दीक्षा ने पति मयंक के खिलाफ दहेज प्रथा यानी की घरेलू हिंसा की एफआईआर दर्ज कराई थी. 17 अप्रेल को एफआईआर दर्ज होने के बाद गुस्साएं मयंक ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन समय रहते उसे बचा ले लिया गया. लगातार पत्नी की प्रताड़ना और धमकियों से परेशान होकर 2 जुलाई को मयंक ने एक बार फिर जहर खाकर आत्महत्या कर ली.
मानसिक रुप से था परेशान
दरअसल, यह मामला उन घटनाओं में से एक है, जिनमें पुरुषों की भावनात्मक, मानसिक और कानूनी पीड़ा सामने आती है. वर्षों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न पर संवेदनशीलता बनी है जो जरूरी भी है. लेकिन उसी संवेदनशीलता की कमी पुरुषों के मामलों में देखने को मिलती है. मयंक का ये मामला बताता है कि पुरुष भी मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं. लेकिन अक्सर उन्हें “मर्द” होने की छवि में ढाल कर उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है.
पत्नी ने दी थी जेल भेजने की धमकी
कई बार महिलाएं झूठे घरेलू हिंसा, दहेज या छेड़छाड़ के आरोप लगाकर पुरुषों और उनके परिवारों को मानसिक रूप से कमजोर कर देती हैं. पुलिस और न्याय व्यवस्था को ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है. आत्महत्या करने से पहले मयंक ने व्हाट्सएप स्टेटस में जो नाम लिखे वो सीधे तौर पर उसकी मानसिक स्थिति और दबाव को सामने ला रहे हैं. यह केवल पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त होना है. समाज को अब यह समझने की जरूरत है कि पीड़ित केवल स्त्री नहीं होती, पुरुष भी हो सकता है.
प्रताड़ना का शिकार हो रहे पति
हर रिश्ता आपसी सम्मान, विश्वास और समझदारी से चलता है. किसी एक पक्ष की बात सुनकर दूसरे को दोषी ठहराना न्याय नहीं हो सकता. इसके साथ ही पुलिस प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि ऐसे मामलों में पुरुषों की भी काउंसलिंग, हेल्पलाइन और कानूनी सहायता मुहैया कराई जाए. साथ ही, झूठे मामलों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो ताकि ऐसे कानूनों का दुरुपयोग न हो.